निवाड़ी जिले के किशोरपुरा गांव से एक गंभीर और भावनात्मक मामला सामने आया है, जहाँ श्मशान घाट न होने के कारण ग्रामीणों को अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूरी में नदी पार करनी पड़ती है।
गांव में श्मशान घाट का निर्माण इसलिए संभव नहीं हो पा रहा है क्योंकि शासकीय जमीन पर ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण किया गया है। इस अतिक्रमण के चलते मुक्तिधाम के लिए प्रस्तावित भूमि उपलब्ध नहीं हो रही है।
बरसात के मौसम में यह समस्या और भी विकट हो जाती है। नदी में पानी बढ़ जाने के कारण शव और लकड़ियां कंधों पर रखकर नदी पार करना पड़ता है, जिससे न केवल ग्रामीणों को शारीरिक कठिनाई होती है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी वे बेहद पीड़ा का सामना करते हैं।
हाल ही में 17 वर्षीय आशिक अहिरवार की मौत के बाद भी ग्रामीणों को शव नदी पार ले जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा। यह घटना गांव में रोष का कारण बन गई और स्थानीय मीडिया एवं सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया। वायरल वीडियो के बाद प्रशासन पर तत्काल कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।
गांव के सरपंच सहित स्थानीय लोगों ने जिला कलेक्टर से गुहार लगाई है कि शासकीय जमीन से अतिक्रमण हटाया जाए और जल्द से जल्द मुक्तिधाम का निर्माण किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल सुविधा का मुद्दा नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा का सवाल है।
निष्कर्ष:
किशोरपुरा गांव का यह मामला ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है। अब देखना यह है कि वायरल वीडियो और जनदबाव के बाद प्रशासन कितनी जल्दी इस समस्या का समाधान करता है।
