पब्लिक फर्स्ट। उज्जैन। अमृत बैंडवाल ।

भक्ति, आस्था और परंपरा के संगम उज्जैन में आज बाबा महाकाल की छठवीं और अंतिम राजसी सवारी भव्यता के साथ निकलेगी। सोमवार की शाम 4:00 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होगी यह सवारी ऐतिहासिक परंपराओं और अनूठे आध्यात्मिक रंगों के साथ नगरभर में गुजरेगी ।

मार्ग व कार्यक्रम

सवारी मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षीबाजार, कहारवाड़ी, रामघाट समेत कई प्रमुख मार्गों से गुजरी और देर रात लगभग 10:00 बजे पुनः मंदिर परिसर में विश्राम किया। कुल लगभग 7 किमी लंबे मार्ग पर श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब उमड़ेगा।

बाबा महाकाल के छह दिव्य स्वरूप

श्रद्धालुओं को इस यात्रा में भगवान महाकाल के छह दिव्य रूपों के दर्शन का सौभाग्य मिलेगा —

  • चंद्रमोलेश्वर (रजत पालकी पर)
  • मनमहेश (हाथी पर)
  • शिवतांडव (गरुड़ रथ पर)
  • उमा-महेश (नंदी रथ पर)
  • होल्कर स्टेट मुखारविंद (डोल रथ पर)
  • सप्तधान मुखारविंद

सांस्कृतिक और धार्मिक समागम

सवारी के दौरान लगभग 70 भजन मंडलियों और 10 से अधिक बैंड दलों ने भक्तिमय माहौल बनेगा। विशेष रूप से ढुलिया जनजाति, गुदुमबाजा और करमा नृत्य कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से यात्रा को और भी भव्य बनाएंगे।

प्रशासनिक व सुरक्षा व्यवस्था

  • सवारी में लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति रहेगी।
  • 2,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए।
  • पहली बार ड्रोन से पुष्पवर्षा की व्यवस्था की गई।
  • 64 ऑब्जर्वर व मोबाइल डिटेक्शन टीमें लगातार निगरानी में रहेगी।
  • सुरक्षा कारणों से सेल्फी जोन पर रोक लगाई गई।
  • यात्रा मार्ग पर एलईडी स्क्रीन से लाइव प्रसारण की व्यवस्था रहेगी।

विशिष्ट उपस्थिति

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और एडीजी इंटेलिजेंस ने इस राजसी सवारी में भाग लेकर बाबा महाकाल के दर्शन करेंगे।

निष्कर्ष

यह अंतिम राजसी सवारी उज्जैन की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की अनुपम झलक रहेगी। भव्य सजावट, पुष्पवर्षा, संगीत-मंडलियों और जनसैलाब से अविस्मरणीय पल बनेगा ।

publicfirstnews.com

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