पब्लिक फर्स्ट । रिसर्च डेस्क ।

प्रस्तावना

इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में हज़ारों मुस्लिम युवा अपने धर्म–ग्रंथों और शिक्षाओं को विज्ञान की कसौटी पर परख रहे हैं। कई “एक्स–मुस्लिम” openly बताते हैं कि उनकी डिसइल्यूजनमेंट (धर्म छोड़ने की यात्रा) की शुरुआत कुरान और हदीस में मौजूद वैज्ञानिक ग़लतियों को देखकर हुई।

धरती चपटी है या गोल?

  • कुरान की आयतें: धरती को “फैलायी गई कालीन” (सुरह नाज़िआत 79:30) और “बिछौना” (सुरह बकरा 2:22) कहा गया।
  • वैज्ञानिक तथ्य: पृथ्वी गोलाभ (Oblate Spheroid) है, यह खगोल विज्ञान से सिद्ध है।

Quote – एक ईरानी Ex-Muslim:

“मौलाना हमें कहते थे कि कुरान में हर चीज़ विज्ञान से मेल खाती है। लेकिन जब मैंने खुद पढ़ा, तो पाया कि इसमें धरती को समतल बताया गया है। तभी समझ आया कि हमें झूठी ‘Scientific Miracles’ की कहानियाँ सुनाई जाती हैं।”

सूरज और चाँद की गति

  • कुरान: सूरज को “कीचड़ भरे तालाब में ढलते हुए” (सुरह कहफ़ 18:86) बताया गया।
  • विज्ञान: पृथ्वी के घूमने से दिन–रात होता है, सूर्य किसी तालाब में नहीं उतरता।

Quote – पाकिस्तान के एक पूर्व मुस्लिम ब्लॉगर:

“जब मैंने बचपन में पूछा कि सूरज पानी में क्यों नहीं दिखता, जैसा कुरान कहता है, तो मुझे डांटकर चुप करा दिया गया। यही मेरे सवाल उठने की शुरुआत थी।”

मानव उत्पत्ति और विकासवाद

  • इस्लामिक मान्यता: आदम और हव्वा से मानव की शुरुआत।
  • विज्ञान: डार्विन का Theory of Evolution लाखों वर्षों के विकास को सिद्ध करता है।

Quote – टर्की की एक महिला Ex-Muslim:

“यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी पढ़ते समय समझ आया कि कुरान की कहानी और विज्ञान एक-दूसरे से बिल्कुल मेल नहीं खाते। तभी मैंने सोचना शुरू किया कि क्या मैं सचमुच सही धर्म में हूँ।”

चिकित्सा और इलाज

  • हदीस: ऊँट का पेशाब पीने और ताबीज़ से इलाज का ज़िक्र।
  • विज्ञान: इसे असुरक्षित और खतरनाक बताता है।

Quote – सऊदी अरब का एक गुप्त Ex-Muslim:

“जब कोविड आया, तो हमारे मौलाना ने ऊँट का पेशाब पीने को इलाज बताया। तब मुझे समझ आया कि ये लोग हमारी जान से खेल रहे हैं।”

इंटरनेट और सूचना की क्रांति

  • YouTube, Reddit और Twitter पर हज़ारों एक्स–मुस्लिम अपनी कहानियाँ साझा कर रहे हैं।
  • “The Thinking Muslim,” “Ex-Muslim TV” और “Council of Ex-Muslims” जैसे प्लेटफॉर्म लाखों views पा रहे हैं।

Quote – अमेरिका में बसे एक Ex-Muslim:

“इंटरनेट मेरा पहला दरवाज़ा था। वहाँ मुझे ऐसे लोग मिले, जो मेरे जैसे सवाल पूछते थे। तभी हिम्मत मिली कि मैं भी सच्चाई स्वीकार करूँ।”

मौलाना और कट्टरपंथियों की प्रतिक्रिया

  • कई मौलाना कहते हैं कि “ये गलत अनुवाद है।”
  • कुछ कहते हैं कि “कुरान विज्ञान की किताब नहीं है।”
  • लेकिन इंटरनेट पर फैली जानकारी के कारण युवा इन तर्कों को पर्याप्त नहीं मानते।

Quote – ट्यूनीशिया के एक छात्र:

“हर बार कहा जाता है – ये metaphor है, ये सही translation नहीं है। लेकिन कितने झूठे बहाने बनाएँगे? आखिर में मैंने सच मान लिया कि यह किताब विज्ञान से मेल नहीं खाती।”

ईरान में लगभग 20% लोग खुद को मुस्लिम नहीं मानते।

  • अमेरिका में जन्म से मुस्लिम रहे 23% लोग इस्लाम छोड़ चुके हैं।
  • टर्की में यह दर 3% तक पहुँच चुकी है।

दूसरी ओर, सऊदी अरब, पाकिस्तान और फ्रांस में संख्या लाखों में है, लेकिन यह कुल जनसंख्या का छोटा प्रतिशत है।

इससे साफ़ है कि जहाँ भी स्वतंत्र सोच और इंटरनेट की पहुँच ज्यादा है, वहाँ मुस्लिम युवा तेजी से धर्म छोड़ रहे हैं।

निष्कर्ष

धरती चपटी है या गोल — विज्ञान ने यह सवाल बहुत पहले हल कर दिया है।

लेकिन जब धार्मिक व्याख्याएँ और ग्रंथ वैज्ञानिक तथ्यों से टकराते हैं, तो शिक्षित मुस्लिम युवा खुद को बौद्धिक संघर्ष में पाते हैं।

इसी कारण, वैज्ञानिक ग़लतियाँ और तर्कहीन मान्यताएँ आज कई एक्स–मुस्लिमों की धर्म छोड़ने की यात्रा का अहम कारण बन चुकी हैं।

publicfirstnews.com

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