पब्लिक फर्स्ट।
कहते हैं गहरी नींद से याददाश्त मजबूत होती है। लेकिन ये कैसे होता है कोई नहीं जानता। हालांकि, अब रिसर्चर्स का कहना है कि उन्हें मानव मस्तिष्क के अंदर से फिजियोलॉजिकल एविडेंस मिले हैं जो इस बताते हैं कि नींद के दौरान ब्रेन, मेमोरी को कैसे मजबूत करता है।
रिसर्चर्स का कहना है उन्होंने ब्रेन स्टडी की। इसमें पाया कि गहरी नींद के दौरान एक वक्त ऐसा आता है जब दिमाग स्ट्रॉन्ग हो जाता है। इस दौरान याददाश्त भी मजबूत होती है। स्टडी करने के लिए क्लोज-लूप सिस्टम की मदद ली गई। ये एक ऐसा सिस्टम है जो दिमाग के एक हिस्से में डिलिवर होने वाली इलेक्ट्रिकल प्लस को दूसरे हिस्से में स्टोर मेमोरी के साथ मर्ज करता है।
ये भूलने की बीमारी जैसे- अल्जाइमर, डिमेंशिया से पीड़ित रोगियों के लिए मददगार साबित हो सकता है।
नींद से अल्जाइमर्स का सीधा कनेक्शन, 7.30 घंटे की नींद सबसे बेहतर
इससे पहले हुई रिसर्च में यह सामने आया था कि आधी-अधूरी नींद से अल्जाइमर्स बीमारी का कनेक्शन है। याद्दाश्त घटने, भ्रम सा महसूस होने और नई चीजों को देरी से समझना अल्जाइमर्स के लक्षण हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है, अगर आप 8 घंटे की नींद ले रहे हैं और 30 मिनट पहले अलार्म सेट करते हैं तो साढ़े सात घंटे की नींद ब्रेन पर सकारात्मक असर डालती है। अल्जाइमर्स डिजीज यानी चीजों को भूलने की बीमारी के खतरे को कम करती है।
गहरी नींद के लिए ये दो प्रैक्टिस करना जरूरी
1. स्क्रीन टाइम कंट्रोल करें
स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, सेल फोन कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शॉर्ट-वेवलेंथ वाला प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। यह ब्लू लाइट शाम के समय नींद लाने वाले हार्मोन मेलाटोनिन को कम करता है। यह स्लो वेव्स और REM के समय को भी कम करती है।
2. ब्रीदिंग की 4-7-8 तकनीक अपनाएं
इस तकनीक के लिए आरामदायक स्थान पर लेट जाएं। जीभ को तालू से लगा लें। होंठ खोलकर सीटी बजाने की तरह आवाज करते हुए सांस को पूरी तरह मुंह से बाहर निकाल दें। अब होठों को बंद कर लें। मस्तिष्क में धीरे-धीरे चार तक गिनती गिनते हुए नाक से सांस लें। सात सेकंड तक सांस को रोक कर रखें। आठ सेकंड तक पूर्व की तरह आवाज करते हुए मुंह से सांस को बाहर निकाल दें।
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