पब्लिक फर्स्ट। कोलकाता।
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि BJP का वोट शेयर लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब आधा रह गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 40% वोट मिले थे। पंचायत चुनाव में ये 23% रह गए।
चिंता की बात ममता बनर्जी के लिए भी है। उनकी पार्टी TMC को एकतरफा मिलते आए मुस्लिम वोट कांग्रेस-लेफ्ट और दो साल पुरानी पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट की ओर शिफ्ट होते दिख रहे हैं। इसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों की परफॉर्मेंस पर पड़ सकता है।
पंचायत चुनाव में TMC को रिकॉर्ड जीत मिली है। पार्टी ने 51.5% वोट के साथ जिला परिषद की 95%, पंचायत समिति की 79% और ग्राम पंचायत की 66% सीटें जीती हैं। BJP का वोट शेयर 22.9% रहा। पार्टी ने ग्राम पंचायत की 18.24%, पंचायत समिति की 12.25% और जिला परिषद की 26% सीटें जीती हैं।
लेफ्ट ने 13.2% वोट शेयर के साथ ग्राम पंचायत 5.8%, पंचायत समिति की 2.3% और जिला परिषद की 2% सीटें जीती हैं। कांग्रेस का वोट शेयर 6.42 फीसदी रहा। पार्टी ने 4.82 फीसदी ग्राम पंचायत, 3.2 फीसदी पंचायत समिति और 12 फीसदी जिला परिषद सीटें जीतीं। हालांकि, कोलकाता हाईकोर्ट ने फाइनल रिजल्ट डिक्लेयर करने पर रोक लगाई है।
इस बार के पंचायत चुनाव में BJP को 2018 के पंचायत चुनाव से ज्यादा सीटें मिली हैं। हालांकि, इसे लोकसभा और विधानसभा के वोट शेयर से देखा जाए तो पार्टी के लिए फिक्र करने की बात है।
TMC के मुस्लिम वोटबैंक में भी सेंधमारी
पंचायत चुनावों में BJP जिस तरह हिंदू वोटों को एकजुट नहीं कर पाई, उसी तरह TMC के लिए मुस्लिम वोटों को एकजुट रखना मुश्किल हो गया। पश्चिम बंगाल में करीब 27% मुस्लिम आबादी है। अब तक इनके एकमुश्त वोट TMC को मिलते आए थे। पंचायत चुनाव के नतीजे बताते हैं कि अब इसमें सेंधमारी हो रही है। ये वोट कांग्रेस, लेफ्ट और इंडियन सेक्युलर फ्रंट यानी ISF की ओर शिफ्ट हुए हैं।
2021 में बनी पार्टी ISF ने मुस्लिम बहुल भांगड़ में 43 सीटें जीती हैं। साउथ 24 परगना जिले के भांगड़-2 ब्लॉक की 10 ग्राम पंचायतों की 218 में से 132 सीटों पर चुनाव हुए थे। इनमें TMC को 63 सीटें मिलीं। ममता की पार्टी 86 सीटें निर्विरोध जीती। भांगड़ विधानसभा सीट भी ISF के पास है।
TMC के एक सीनियर लीडर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हमें मुस्लिम वोटों के बंटने का अंदेशा था। इसलिए हमने भांगड़ में ISF को रोकने के लिए पूरी ताकत लगाई थी। वहां कैंडिडेट भी इसलिए बदले गए, क्योंकि उन पर करप्शन के आरोप थे। इसके बावजूद ISF की अच्छा परफॉर्मेंस हमारे लिए चिंता की बात है। हमें नई स्ट्रैटजी के साथ मैदान में उतरना होगा।’
भांगड़ की तरह मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद और मालदा में भी TMC की पकड़ कमजोर हो रही है। मार्च 2023 में मुर्शिदाबाद की सागरदिघी सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी कांग्रेस से हार गई थी। पहले ये सीट TMC के पास थी। मंत्री सुब्रत साहा के निधन के बाद यहां चुनाव हुए थे। हालांकि, बाद में कांग्रेस से जीते हुए कैंडिडेट बायरन बिस्वास TMC में शामिल हो गए थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने बंगाल में 18 सीटें जीती थीं। उसका वोट शेयर भी 40% पर पहुंच गया था। इस जीत की वजह हिंदू वोटों का मिलना बताया गया। जंगलमहल से लेकर नॉर्थ बंगाल तक हिंदू वोट BJP के पक्ष में लामबंद हुए थे। 2023 आते-आते कहानी बदल गई है।
40% वोट शेयर वाली BJP पंचायत चुनाव में 23% वोट शेयर पर आ चुकी है। एक्सपर्ट मानते हैं कि 2019 में BJP ने हिंदू वोट बैंक को एकजुट किया था, वो अब पार्टी से दूर जा रहा है। BJP ने 2024 में पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें जीतने का टारगेट रखा है। पंचायत चुनाव के नतीजों से ये टारगेट हासिल करना मुश्किल लग रहा है।
BJP जहां मजबूत थी, वहां भी जीत का ग्राफ गिर रहा
कोलकाता की रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, ‘पंचायत चुनाव में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है। कई लोग वोट नहीं डाल पाए। करप्शन भी हुआ, विनिंग सर्टिफिकेट में गड़बड़ी हुई। इससे पूरी प्रोसेस पर ही सवाल खड़े होते हैं।’
‘एक बड़ी बात ये समझ आ रही है कि BJP का ग्राफ नीचे जा रहा है। BJP नॉर्थ बंगाल, जंगल महल और वेस्टर्न पार्ट में मजबूत थी। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी ने यहीं बेहतर परफॉर्म किया था। पार्टी अब यहां नीचे जा रही है। BJP को नॉर्थ में आदिवासी, गोरखा, राजवंशी और जंगल महल में कुर्मी-ट्राइबल का साथ नहीं मिला।’
सांप्रदायिक मुद्दों की ओर लौट सकती है BJP…
सीनियर जर्नलिस्ट स्निग्धेंदु भट्टाचार्य कहते हैं, ‘पश्चिम बंगाल में लोकल लीडर्स चाहते हैं कि लेफ्ट-कांग्रेस का गठबंधन BJP-TMC के खिलाफ चुनाव लड़े। नेशनल लेवल पर कांग्रेस और TMC क्या सोच रही हैं, अभी ये क्लियर नहीं है।’
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पश्चिम बंगाल BJP के चीफ स्पोक्सपर्सन शमिक भट्टाचार्य कहते हैं, ‘पंचायत चुनाव के नतीजों को हम नहीं मानते। काउंटिंग स्टेशन पर सारे सर्टिफिकेट फाड़ दिए गए। हमारे लोग जिन काउंटिंग सेंटर में अंदर रह पाए, वहां नतीजे ठीक आए।’