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1659 के युद्ध में जब बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान ने शिवाजी महाराज को धोखे से मारने का प्रयास किया तो शिवाजी महाराज ने बाघ नख के एक प्रहार से अफजल को मार दिया था. यह बाघ नख वर्तमान में इंग्लैंड की विक्टोरिया एंंड अल्बर्ट म्यूजियम में रखा है, जिसे जल्द भारत लाया जाएगा.

शिवाजी महाराज का खास हथियार बाघ नख की अब घर वापसी होगी, यूनाइटेड किंगडम के अधिकारियों ने इसे वापस करने पर सहमति दे दी है. महाराष्ट्र के कल्चर मिनिस्टर इसी माह के अंत तक लंदन जाकर बाघ नख को वापस लाने के लिए एक समझौता पत्र साइन करेंगे. इस साल के अंत तक बाघ नख भारत वापस आ जाएगा.

बाघ नख को वापस लाने की पूरी जिम्मेदारी होगी महारष्ट्र के सांस्कृतिक मामलो के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और आर्कियोलॉजी और म्यूजियम डिपार्टमेंट के डायरेक्ट्रेट डॉ. तेजस पर जो लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम जाएंगे और सभी जरूरी प्रक्रिया को पूरी करेंगे. यह टीम 29 सितंबर से 4 अक्टूबर तक लंदन में ही रहेगी.

क्या होता है ‘बाघ नख’

बाघ नख एक तरह का हथियार है जिसे इस तरह डिजाइन किया जाता है, जिससे यह पूरी मुट्ठी में फिट हो सके. यह स्टील से तैयार किया जाता है, जिसमें चार नुकीली छड़ें होती हैं जो किसी बाघ के पंजे से भी घातक हैं. इसके दोनों तरफ दो रिंग होती हैं, जिससे हाथ की पहली और चौथी उंगली में पहनकर इसे ठीक तरह से मुट्ठी में फिट किया जा सके. यह इतना घातक होता है कि एक ही वार में किसी को भी मौत के घाट उतार सकता है.

महाराष्ट्र से इंग्लैंड कैसे पहुंचा था ये बाघनख

ऐसा कहा जाता जाता है कि बाघ के पंजों की तरह दिखने वाला खंजर खास तौर से पहली बार शिवाजी के लिए ही तैयार किया गया था, ताकि ये उनकी मुट्ठी में ठीक तरह से फिट हो सके. यह इतना धारदार था जिससे एक ही झटके में ये दुश्मन को चीर सकता है. शिवाजी महाराज का बाघ नख मराठा साम्राज्य की राजधानी सतारा में था. अंग्रेजों के भारत आने के बाद मराठा पेशवा के प्रधानमंत्री ने 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ को भेंट किया था. 1824 में डफ वापस इंग्लैंड गए और अपने साथ बाघ नख को भी ले गए. बाद में उन्होंने इसे लंदन की विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम को दान कर दिया था.

एक झटके में मारा गया था अफजल खान

1659 में शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को बाघनख से एक ही झटके में चीर दिया था. यह वह दौर था जब बीजापुर सल्तनत का प्रमुख आदिल शाह और शिवाजी के बीच युद्ध चल रहा था. अफजल खान ने छल से शिवाजी को मारने की योजना बनाई. उसने शिवाजी को मिलने के लिए बुलाया, जब शामियाने में मुलाकात के दौरान उसने शिवाजी की पीठ में खंजर भोंकने की कोशिश की. शिवाजी पहले से ही सतर्क थे और हाथ में अपना बाघ नख भी पहने थे. अफजल अपने नापाक मंसूबे में सफल होता उससे पहले ही शिवाजी ने एक ही बार में अफजल का पेट चीर दिया था.

बाघनख के साथ शिवाजी की तलवार लाने का भी प्रयास


बाघ नख को वापस लाने का समझौता पत्र साइन करने के अलावा अधिकारी शिवाजी की जगदंबा तलवार भी वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं जो यूके के एक म्यूजियम में रखी है. वाघ नख किस तिथि को वापस लाया जाएगा इसके लिए वो तारीख चुनी जा सकती है जिस दिन अफजल खान को मारा गया था. दरअसल अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह तारीख 10 नवंबर हैं, लेकिन महाराष्ट्र के कल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक हिंदू कैलेंडर के हिसाब से तिथि का पता लगाया जा रहा है, उसी दिन इसे वापस लाया जा सकता है.

publicfirstnews.com

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