मुख्यमंत्री डा.यादव की प्राथमिकता

महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि महिलाओं और बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता

महिला सशक्तिकरण का “मध्यप्रदेश मॉडल” देश में अनूठा है, जिससे प्रेरित होकर अन्य राज्यों ने भी मध्यप्रदेश की महिला कल्याण की योजनाओं का अनुसरण कर अपने राज्यों में लागू किया है।

महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81 प्रतिशत बढ़ा

चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81 प्रतिशत बढ़ाते हुए 26 हजार 560 करोड़ रुपए का प्रावधान किया

लाड़ली बहना योजना के लिये 18 हजार 984 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान

एक करोड़ 25 लाख से अधिक लाड़ली बहनें इस योजना से लाभान्वित

महिलाओं के हित में महत्वपूर्ण फैसले

राज्य सरकार ने महिलाओं के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुए उनके नाम जमीन, दुकान और घर की रजिस्ट्री कराने पर स्टाम्प शुल्क पर अतिरिक्त छूट दी है। इससे बहनों के पास संपत्ति की शक्ति आई है और समाज में उनका मान बढ़ा है।

सेनिटेशन एवं हाईजीन योजना अंतर्गत 19 लाख से अधिक बालिकाओं के बैंक खाते में 57 करोड़ 18 लाख रुपए की राशि का अंतरण किया गया है।

मध्यप्रदेश में महिलाओं को निकाय चुनाव एवं शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत, पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत और अन्य भर्तियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।

स्टार्ट-अप नीति में भी महिलाओं के लिये विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया, जिसके फलस्वरूप प्रदेश के कुल स्टार्ट-अप्स में से 47 प्रतिशत की मालकिन महिलाएं हैं।

महिला उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए 850 एमएसएमई इकाइयों को 275 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई गई।

मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु दंड देने वाला देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश है।

मध्यप्रदेश में महिलाओं से जोर-जबरदस्ती से या बहला-फुसला कर विवाह और धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू किया गया।

बेटियों की शिक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना का सफल क्रियान्वयन जारी है। योजना में 48 लाख से अधिक लाड़ली लक्ष्मियाँ लाभान्वित हो रही हैं। इस योजना से प्रदेश में लिंगानुपात में भी सुधार परिलक्षित हुआ है।

प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना में अब तक 42 लाख महिला हितग्राही पंजीकृत हो चुकी हैं। योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को मजदूरी की हानि की आंशिक क्षतिपूर्ति के रूप में नगद प्रोत्साहन प्रदान करना और द्वितीय प्रसव पर बालिका जन्म को प्रोत्साहित करना है।

हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सहायता उपलब्ध कराने के लिये महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 संचालित है।

संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता के लिये प्रत्येक जिले में वन-स्टॉप सेंटर संचालित हैं।

बालिकाओं में आत्म-विश्वास और कौशल वृद्धि के लिये सशक्त वाहिनी कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया। अब तक 128 बालिकाओं का पुलिस/ शासकीय विभागों में चयन हो चुका है।

प्रदेश में 97 हजार से अधिक संचालित आंगनवाड़ियों में 81 लाख बच्चे और गर्भवती/धात्री माताएँ एवं किशोरी बालिकाऍ लाभान्वित हो रही हैं। आंगनवाड़ियों में ऑनलाइन उपस्थिति और आंगनवाड़ी एसेट्स डायरी सुविधा प्रारंभ की गई है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं के साथ सहभागिता करने वाली महिला खिलाडियों को नगद राशि देकर प्रोत्साहित किया गया।

publicfirstnews.com

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