छत्तीसगढ़ की पुलिस जल्द ही नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू करेगी। इसके बाद पुलिसकर्मियों को अपने ट्रांसफर के लिए नेताओं और अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। पूरा सिस्टम ऑनलाइन होगा। इसे लेकर एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर में पुलिसकर्मी खुद ट्रांसफर के लिए आवेदन करेगा । उसके सर्विस रिकॉर्ड और ट्रांसफर नियमों के अनुरूप स्थिति होने पर ट्रांसफर को लेकर आदेश जारी हो जाएगा । यह नई व्यवस्था एक से दो महीने के भीतर लागू हो सकती है।

मंत्रालय में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर सरकार के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ, पुलिस विभाग के महानिदेशक अशोक जुनेजा, मुख्यमंत्री के सेक्रेट्री राहुल भगत के साथ एक स्पेशल मीटिंग की है। इस मीटिंग में नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू करने की बात तय हुई है। मंत्री ने मंत्रालय में हुई इस हाई प्रोफाइल बैठक में ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर कहा कि इसे पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए ताकि डिपार्टमेंट के कामकाज में सुधार हो सके।

यह होगी नई व्यवस्था विभागीय सूत्रों की माने तो नई ट्रांसफर पॉलिसी में आवेदन कोई भी पुलिसकर्मी अपने मोबाइल फोन या कम्प्यूटर से कर सकेगा। पुलिस महकमे में नक्सल प्रभावित इलाकों और मैदानी इलाकों में ट्रांसफर या पोस्टिंग को लेकर जद्दोजहद रहती है। यह भी स्थिति बनती है कि कई जवान सालों से नक्सली इलाकों में काम कर रहे हैं तो कुछ काे मैदानी इलाकों से उनके राजनीतिक लिंक के चलते हटाया नहीं जाता।

अब ये नहीं चलेगा, नई पॉलिसी में नियमों के मुताबिक एक तय समय नक्सली इलाके में पुलिस कर्मियों को काम करना होगा। इसके बाद उनकी काबिलियत के हिसाब से और वर्क रिकॉर्ड के हिसाब से ही ट्रांसफर होगा । नई व्यवस्था को लेकर डिपार्टमेंट के सूत्रों ने बताया कि साल में दो बार जनवरी और जुलाई में ट्रांसफर किया जा सकेगा।

अभी यह है व्यवस्था गृहमंत्री विजय शर्मा ने यह स्पष्ट किया कि नक्सल इलाकों में तीन साल नौकरी के बाद ही ट्रांसफर हो पाएगा। उन्होंने बताया कि जो एसआई से निरीक्षक के पद पर प्रमोट होते हैं, उन्हीं अधिकारियों की तैनाती कम से कम तीन साल के लिए नक्सल इलाकों में की जाती है। इसके अलावा जिन कर्मचारियों की उम्र 54 साल से कम होती है उन्हें इन जिलों में तैनात किया जाता है। जहां तीन साल की नौकरी के बाद ही इन पुलिस कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जाता है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में पुलिस कर्मचारियों के ट्रांसफर का फैसला पुलिस मुख्यालय की स्थापना समिति ही लेती है।

इससे पहले भूपेश बघेल सरकार में भी पुलिस ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव किया गया था। तब जिला स्तर और राज्य स्तर पर अलग-अलग ट्रांसफर की व्यवस्था की गई थी। जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन करने पर जिला का कलेक्टर पुलिस कर्मचारियों का ट्रांसफर करता था। राज्य स्तर पर मंत्री के अनुमोदन पर ट्रांसफर होता था।

नशे के कारोबारियों की संपत्ति होगी अटैच

  • बैठक में उपमुख्यमंत्री शर्मा ने एनडीपीएस एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नशे के अवैध कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और दोषी पाए जाने पर उनकी संपत्ति को तत्काल कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू हो। पुलिस वाले इसमें शामिल हों तो उसे फौरन बर्खास्त करें।
  • शहीद जवानों के परिवारों को प्राथमिकता देते हुए अनुकंपा नियुक्ति के मामले सुलझाए जाएं। शहीद हुए जवानों के “अमर बलिदानी स्मारक” परिवार से बात करते हुए बनाया जाए।
  • चिटफंड कंपनियों की संपत्तियों की जल्द नीलामी की जाए और उससे प्राप्त राशि को प्रभावित निवेशकों को दी जाए।
  • प्रदेश में जरुरत के हिसाब से नए पुलिस पब्लिक स्कूलों की स्थापना, पुलिस आवास योजना और केपीकेबी कैंटीन शुरू करने के निर्देश मंत्री ने दिए हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाई जा रही नई तकनीकों को स्टेट पुलिस अपनाए।

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