राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू में 12 स्थानों पर छापेमारी की, जो सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ से संबंधित मामले से जुड़ी थीं। यह छापेमारी ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs), हाइब्रिड आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों के समर्थकों के ठिकानों पर की गई। इस छापेमारी का उद्देश्य आतंकवाद से जुड़े नेटवर्क की जड़ तक पहुंचना था और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना था, जो आतंकवादी गतिविधियों में सहायक भूमिका निभा रहे थे।
एनआईए की कार्रवाई: प्रमुख बातें
एनआईए ने अक्टूबर 2024 में सीमा पार से आतंकी घुसपैठ से संबंधित एक मामला दर्ज किया था। इसके तहत, ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और हाइब्रिड आतंकवादियों के नेटवर्क की जांच शुरू की गई थी। यह छापेमारी उन लोगों के परिसरों पर की गई, जो आतंकवादी संगठनों के समर्थक थे और जो आतंकी घुसपैठियों को विभिन्न तरीके से मदद कर रहे थे। इन छापेमारियों के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारी और दस्तावेज बरामद किए गए हैं, जो आतंकवादियों के साथ इनके सहयोग की पुष्टि करते हैं।
सीमा पार से आतंकवादी घुसपैठ का मुद्दा
सम्भावित आतंकवादी गतिविधियों का मुख्य कारण सीमा पार से आतंकवादियों का घुसपैठ करना है। इन घुसपैठियों को स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर्स और हाइब्रिड आतंकवादी संगठनों के समर्थकों से मदद मिल रही थी। इन आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और वित्तीय सहायता मुहैया कराई जा रही थी, ताकि वे आसानी से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर सकें और अपना आतंकवादी नेटवर्क फैला सकें। इस तरह के नेटवर्क से न केवल स्थानीय सुरक्षा को खतरा था, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा मुद्दा बन गया था।
ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और हाइब्रिड आतंकवादीओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) वे लोग होते हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय नहीं होते, लेकिन वे आतंकवादी संगठनों के साथ सहयोग करते हैं। वे आतंकियों को स्थानीय जानकारी, मदद, और सहारा प्रदान करते हैं। हाइब्रिड आतंकवादी वे होते हैं, जो कभी-कभी उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन उनका मुखौटा सामान्य नागरिक का होता है। इन दोनों प्रकार के आतंकवादियों का मकसद देश की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करना और नागरिकों के बीच भय फैलाना है।
गृह मंत्रालय की निगरानी और एनआईए की भूमिकाभारत सरकार ने गृह मंत्रालय के निर्देश पर एनआईए को इस मामले में सक्रिय रूप से शामिल किया है। एनआईए की प्राथमिक जिम्मेदारी आतंकवादी गतिविधियों की जांच करना और इनकी जड़ों तक पहुंचना है। गृह मंत्रालय की निगरानी में एनआईए ने इस अभियान को गति दी, ताकि आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
एनआईए की छापेमारी: क्या बरामद हुआ?
इन छापेमारियों के दौरान एनआईए ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, हथियार और आतंकवाद से जुड़े अन्य सामान बरामद किए। यह सामान आतंकवादियों के साथ इनकी मिलीभगत को स्पष्ट करता है। इसके अलावा, कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे आगे की पूछताछ की जा रही है। इन सभी तत्वों का उद्देश्य आतंकवाद के नेटवर्क को जड़ से समाप्त करना है।
आतंकवादियों का स्थानीय समुदाय के साथ संबंध
इन घुसपैठियों को स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर्स और आतंकवादियों के सहयोगियों से मदद मिल रही थी। यह सहयोग ग्रामीण इलाकों में खाद्य सामग्री, आश्रय और वित्तीय सहायता प्रदान करके किया जा रहा था। इन सहायता नेटवर्क के जरिए आतंकवादी आसानी से अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे थे। स्थानीय समुदाय को इन गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं होती थी, लेकिन इन समर्थन नेटवर्क की जांच से आतंकवादियों के बीच के संबंधों का पता चल रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई
एनआईए की छापेमारी केवल एक एजेंसी का काम नहीं है। इसमें राज्य और केंद्र सरकार की सुरक्षा एजेंसियों की एकजुट कार्रवाई शामिल है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीमा सुरक्षा बल (BSF), और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर एनआईए ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। इन सुरक्षा बलों की कार्रवाई आतंकवादी गतिविधियों को रोकने और आतंकवाद के नेटवर्क को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आगे की रणनीति: आतंकवाद के खिलाफ एकजुट संघर्ष
एनआईए की छापेमारी और उसकी जांच प्रक्रिया इस बात का संकेत है कि भारत आतंकवाद से लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। देश की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि आतंकवादियों के नेटवर्क को नष्ट किया जाए और सभी सहयोगियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। आगे भी एनआईए और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस प्रकार की जांच करती रहेंगी, ताकि आतंकवादियों के प्रयासों को नाकाम किया जा सके।
एनआईए द्वारा जम्मू में की गई छापेमारी यह दर्शाती है कि भारत सरकार आतंकवाद से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस कार्रवाई से यह भी साबित होता है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई केवल सैन्य उपायों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नागरिकों के सहयोगी तत्वों और स्थानीय नेटवर्क की जांच भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आने वाले दिनों में, इन प्रयासों के जरिए आतंकवाद से लड़ने में और अधिक सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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