हालिया घटनाक्रम में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान पर भारी दबाव बना और वह घबरा गया।
• पाकिस्तान की ओर से नागरिक क्षेत्रों पर अंधाधुंध ड्रोन और मिसाइल हमले किए जा रहे थे, जबकि भारत ने केवल सैन्य लक्ष्यों को ही निशाना बनाया और नागरिक नुकसान को न्यूनतम रखा।
• भारत की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान को सैन्य, कूटनीतिक और आंतरिक मोर्चे पर नुकसान हुआ, जिससे उसे सीजफायर के लिए मजबूर होना पड़ा।
• विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा हालात में सीजफायर से पाकिस्तान को तत्काल राहत जरूर मिली, क्योंकि उसकी सेना पर दबाव बढ़ रहा था और आतंकी ठिकानों का सफाया हो रहा था।
• भारत को भी सीमा पर तनाव कम करने और नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का लाभ मिला, लेकिन रणनीतिक रूप से भारत की स्थिति मजबूत रही क्योंकि उसने अपनी सैन्य क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का स्पष्ट प्रदर्शन किया।
अमेरिका की सीजफायर मध्यस्थता को भारत ने क्यों माना?
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री की सक्रिय मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ने सैन्य टकराव रोकने पर सहमति जताई।
• भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता इसलिए मानी क्योंकि:
• अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और संयम दिखाना जरूरी था, जिससे भारत की छवि मजबूत हुई।
• भारत ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया था कि वह आतंकवाद और उकसावे की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं करेगा।
• अमेरिका की मध्यस्थता से भारत को वैश्विक समर्थन और पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखने का अवसर मिला।
• दोनों देशों के डीजीएमओ की सीधी बातचीत भी हुई, लेकिन अमेरिका की पहल से समाधान को अंतरराष्ट्रीय वैधता और त्वरित अमल मिला।
निष्कर्ष
सीजफायर से तत्काल राहत पाकिस्तान को जरूर मिली, लेकिन दीर्घकालिक रणनीतिक और कूटनीतिक बढ़त भारत के पास रही, क्योंकि उसने सैन्य और वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत की। अमेरिका की मध्यस्थता मानना भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन और शांति की पहल दिखाने का अवसर था।
