HIGHLIGHT FIRST

  • कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान को 83 करोड़ रुपये (उस समय की विदेशी मुद्रा में) सिंधु नदी पर नहरें बनाने के लिए दिए, जो आज के हिसाब से लगभग 5500 करोड़ रुपये के बराबर है।

सिंधु जल समझौता: भारत को कितना नुकसान ?

इतिहास और बुनियादी तथ्य
• सिंधु जल समझौता 19 सितंबर 1960 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुआ था। इसमें विश्व बैंक की मध्यस्थता थी।


• समझौते के तहत, भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का लगभग 20% पानी उपयोग करने का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का लगभग 80% पानी मिला।
• इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान को 83 करोड़ रुपये (उस समय की विदेशी मुद्रा में) सिंधु नदी पर नहरें बनाने के लिए दिए, जो आज के हिसाब से लगभग 5500 करोड़ रुपये के बराबर है।उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम था, फिर भी यह भुगतान किया गया था

भारत को नुकसान
• भारत को अपनी तीन प्रमुख नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकांश पानी पाकिस्तान को देना पड़ा, जिससे उत्तर भारत के कई इलाकों में सिंचाई और जलविद्युत की संभावनाएँ सीमित हो गईं।


• समझौते के बाद भी भारत को 1965, 1971, 1999 (कारगिल) में पाकिस्तान से युद्ध, और लगातार आतंकवाद का सामना करना पड़ा, जबकि भारत ने शांति के लिए पानी और पैसा दोनों दिया था।
• विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह समझौता भारत के लिए घाटे का सौदा रहा, क्योंकि भारत को अपने हिस्से का अधिकांश पानी खोना पड़ा और बदले में पाकिस्तान की ओर से विश्वासघात और आतंकवाद ही मिला |

मतलब पाकिस्तान को भारत का ही पानी दे देकर बदले में कुछ भी हासिल नहीं किया गया ??

  • देश की पब्लिक अब कांग्रेस से सवाल पूछती है – जो किया वो क्यों किया ? किसलिये किया ? किसके लिये किया ? ये समझौता था या भारत के साथ धोखा ??

publicfirstnews.com

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