उज्जैन के गुरूनानक घाट स्थित गुरुद्वारा परिसर में आयोजित आठ दिवसीय अंतर्राज्यीय गुरूमत कैंप सिख युवाओं और किशोरों के लिए एक आध्यात्मिक और आत्मअनुशासन का अनूठा अवसर बनकर उभरा है। इस कैंप में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों से 13 से 21 वर्ष की आयु के कुल 274 प्रशिक्षार्थी भाग ले रहे हैं। खास बात यह है कि सभी प्रतिभागियों को मोबाइल फोन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम से पूरी तरह दूर रहने की सलाह दी गई है, जिससे वे प्रशिक्षण पर संपूर्ण ध्यान केंद्रित कर सकें।
पंजाब से आई किरणजोत कौर ने बताया कि यह शिविर उन्हें न केवल सिख धर्म की गहराई से परिचित करा रहा है, बल्कि डिजिटल डिस्ट्रैक्शन से दूर रहकर आत्ममंथन का अनुभव भी दे रहा है। उनके अनुसार, “मोबाइल की अनुमति न होने से हम बहुत खुश हैं, क्योंकि अब हम खुद को और अपने धर्म को बेहतर ढंग से समझ पा रहे हैं।”
कैंप अध्यक्ष हरपाल सिंह भाटिया ने जानकारी दी कि यह शिविर स्व. सुरेंद्र सिंह अरोरा की इच्छा के अनुरूप आयोजित किया गया है। यहाँ प्रशिक्षार्थियों को गुरुवाणी, गुरूमुखी, सिख इतिहास और शस्त्र कला का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। शिविर में 24 घंटे चिकित्सा सुविधा और उत्तम लंगर व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है, ताकि सभी प्रतिभागियों को एक सुरक्षित और संतुलित वातावरण मिल सके।
कैंप की व्यवस्थाएं डॉ. हरभजन सिंह पटियाला (प्रिंसिपल), सुरेंद्रपाल सिंह (कोऑर्डिनेटर), और इकबाल सिंह गांधी (संयोजक) के नेतृत्व में सुचारु रूप से संचालित हो रही हैं। यह शिविर न केवल युवाओं को धार्मिक ज्ञान से जोड़ रहा है, बल्कि उन्हें जीवन में अनुशासन, एकाग्रता और आध्यात्मिकता का महत्व भी सिखा रहा है। ऐसे प्रयास समाज में सांस्कृतिक मूल्यों और आत्मविकास को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल हैं।
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