देश की आम महिलाएं जब असाधारण कार्य करती हैं, तो वे सिर्फ अपनी पहचान नहीं बनातीं, बल्कि पूरे समाज को दिशा दिखाती हैं। ऐसा ही प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया उत्तर प्रदेश आकांक्षा समिति की लखनऊ स्थित “मसाला मठरी केंद्र” की दीदी टोली ने, जिन्हें राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित कर अपार सम्मान प्रदान किया।

गुड्डी देवी, मुन्नी खरवार, हलीमा बी और माया लोदी का अद्भुत अनुभव

क्या इन महिलाओं ने कभी सोचा था कि वे भारत के सर्वोच्च संवैधानिक मंच पर कदम रखेंगी? शायद नहीं। लेकिन आकांक्षा समिति की अध्यक्ष डॉ. रश्मि सिंह के मार्गदर्शन और विश्वास के चलते यह असंभव-सा सपना साकार हुआ।

जैसे ही ये महिलाएँ राष्ट्रपति भवन पहुंचीं, विस्मय, श्रद्धा और स्वाभिमान से उनकी आंखें भर आईं। यह क्षण न केवल उनके लिए ऐतिहासिक था, बल्कि समूचे महिला सशक्तिकरण आंदोलन के लिए भी एक प्रेरणा बन गया।

सम्मान, संवाद और सशक्तिकरण की मिसाल

राष्ट्रपति मुर्मू ने इन महिलाओं से आत्मीय बातचीत करते हुए उनके कार्य, जीवन अनुभव और सामाजिक योगदान को समझा। उन्होंने आय सृजन, बाल शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला नेतृत्व जैसे अहम विषयों पर विचार साझा किए।

महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता ही सशक्तिकरण की आधारशिला है। आकांक्षा समिति जैसी पहलें देशभर के हर ज़िले में सक्रिय हों, तो एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन संभव है।” – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

प्रशासनिक अधिकारियों की पत्नियों से विशेष अपील

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि:

प्रशासनिक पदों पर नियुक्त अधिकारियों की पत्नियाँ यदि सेवा भावना से समाज के वंचित वर्गों के लिए कार्य करें, तो वे महज़ सहचरी नहीं, समाज के बदलाव की वाहक बन सकती हैं।

उनका यह संदेश प्रशासनिक परिवेश में कार्यरत महिलाओं के लिए एक साहसिक और प्रेरणादायक मार्गदर्शन है।

आने वाले समय की योजनाएं

श्रीमती प्रतिभा सिंह (सचिव) और डॉ. प्रीति चौधरी (उपाध्यक्ष) ने आयोजन में बताया कि आकांक्षा समिति आने वाले समय में:

  • अन्य जिलों में “मसाला मठरी केंद्र” जैसे महिला आय सृजन समूह शुरू करेगी,
  • स्वास्थ्य परीक्षण शिविरोंकौशल प्रशिक्षण, और शैक्षणिक सहयोग कार्यक्रमों का विस्तार किया जाएगा।

निष्कर्ष: सामान्य से आसमान तक की यात्रा

राष्ट्रपति द्वारा किया गया यह अभिनंदन महिला सशक्तिकरणसामाजिक समावेशिता, और संविधान की भावना को जीवंत करता है। यह क्षण बताता है कि भारत में यदि संकल्प, समर्पण और सहयोग हो — तो कोई भी महिला राष्ट्रीय पहचान बना सकती है।

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