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संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन, देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी है।

जहाँ आधिकारिक वजह “स्वास्थ्य” बताई गई, वहीं सूत्रों और जानकारों के अनुसार, ये इस्तीफा एक संवैधानिक संतुलन और सत्ता के शीर्ष स्तर पर टकराव टालने की रणनीति भी हो सकता है।

आधिकारिक वजह: स्वास्थ्य प्राथमिकता

  • धनखड़ ने राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र में लिखा कि वे “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और डॉक्टर्स की सलाह का पालन करने” हेतु पद छोड़ रहे हैं।
  • उन्होंने हाल की एंजियोप्लास्टी का भी उल्लेख किया।
  • पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और सांसदों के सहयोग के लिए आभार जताया।

लेकिन असली कहानी क्या है? सियासी हलकों में कई एंगल!

संवैधानिक टकराव की आहट?

  • सूत्रों की मानें तो आगामी सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक न्यायपालिका की समीक्षा में जा सकते थे — जिनमें सेवा नियम, न्यायाधीशों की जवाबदेही, और डिजिटल निगरानी संबंधी कानून शामिल थे।
  • केंद्र सरकार किसी भी सूरत में न्यायपालिका से टकराव नहीं चाहती थी, खासकर ऐसे समय में जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही कई संवेदनशील मामलों पर सख्त है।

लेकिन धनखड़, जो स्वयं एक वरिष्ठ अधिवक्ता और कानूनी मर्मज्ञ हैं, का रुख़ इन मामलों पर काफी मुखर और सख्त था।

ऐसे में इस्तीफा एक “टकराव को टालने वाली रणनीतिक चुप्पी” भी मानी जा रही है।

जस्टिस वर्मा महाभियोग विवाद :

  • संसद के पहले ही दिन विपक्ष ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सौंपा, जिसे धनखड़ ने स्वीकार किया और जरूरी प्रक्रियाएं शुरू कीं।
  • इससे केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ खेमे में असहजता बढ़ी।

यह निर्णय “तटस्थता” का संकेत था या “सत्ता से दूरी”? यह सवाल राजनीतिक विश्लेषकों को उलझा रहा है।

विपक्ष से बढ़ती नजदीकी और NDA में दूरी?

  • धनखड़ की हालिया “सॉफ्ट बॉडी लैंग्वेज” कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं के प्रति चर्चा का विषय रही।
  • उनके भाषणों में सत्ता पक्ष की बातों से थोड़ी दूरी भी देखने को मिली।
  • सूत्र कहते हैं कि NDA नेतृत्व को उनकी “स्वतंत्र निर्णयशक्ति” असहज कर रही थी।

इस्तीफे की टाइमिंग – बहुत कुछ कहती है ?

  • संसद सत्र की पहली तारीख,
  • 11 दिन पहले रिटायरमेंट प्लान की सार्वजनिक घोषणा,
  • और अब अचानक स्वास्थ्य का हवाला देकर पद छोड़ना –यह राजनीतिक गणना और रणनीति की ओर संकेत करता है।

Public First विश्लेषण:

“राजनीति में हर इस्तीफा केवल व्यक्तिगत नहीं होता — वह सत्ता की धड़कनों और दबावों का संकेत होता है।”

धनखड़ का पद छोड़ना:

  • स्वास्थ्य से अधिक संवैधानिक विवेक का निर्णय लगता है,
  • न्यायपालिका और विधायिका के संभावित टकराव में ‘ब्रेकिंग पॉइंट’ से पहले एक ‘Exit Strategy’ जैसा प्रतीत होता है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया:

  • कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले को “अचानक और संदिग्ध” बताते हुए प्रधानमंत्री से पुनर्विचार कराने की अपील की।
  • कुछ नेताओं ने तो इसे “केंद्रीय सत्ता द्वारा संस्थागत स्वतंत्रता पर दबाव” करार दिया।

क्या आगे होगा?

  • क्या केंद्र अब एक ‘लचीला और अनुकूल’ चेहरा उपराष्ट्रपति पद पर लाएगा?
  • क्या विपक्ष इस इस्तीफे को “संवैधानिक मजबूरी” बनाकर मुद्दा बनाएगा?
  • और क्या धनखड़ भविष्य में किसी बड़े राजनीतिक मोड़ की ओर बढ़ेंगे?

Public First View Point :

“धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ एक पद का त्याग नहीं, बल्कि यह ‘संवैधानिक स्पेस’ और ‘राजनीतिक दबाव’ के बीच संघर्ष की खामोश स्वीकारोक्ति भी हो सकता है।”

Call to Action:

क्या आपको लगता है ये केवल स्वास्थ्य कारण था या इसके पीछे राजनीति की कोई गहरी चाल है?

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