पब्लिक फर्स्ट। देवास।अनिल उपाध्याय।
बरसात का मौसम आते ही एक बार फिर देवास और सीहोर जिलों की सीमा पर स्थित काकेडी नदी पर बना पुल सवालों के घेरे में आ गया है। करोड़ों रुपये की लागत से बना यह पुल हर साल की तरह इस बार भी नदी के तेज बहाव में डूब गया, जिससे आसपास के गांवों — पीपलनेरिया, छीपानेर और अन्य इलाकों के लोग फिर नाव और रस्सी के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं।
ग्रामीण बोले: ये पुल नहीं, धोखा है
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की ऊंचाई बेहद कम है और इंजीनियरिंग में भारी लापरवाही बरती गई। ग्रामीणों ने वर्षों पहले पुल की मांग की थी ताकि बरसात में आवागमन सुरक्षित रह सके, लेकिन पुल के डूबते ही उम्मीद भी डूब गई।
प्रशासन का पल्ला झाड़ना जारी
एसडीएम मदन रघुवंशी ने बयान में कहा कि “यह मामला ब्रिज कॉरपोरेशन का है,” जबकि ग्रामीण ठेकेदार पर कार्रवाई, पुल की गुणवत्ता की पुनः जांच और 5–7 फीट ऊंचाई बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
खतरे में ज़िंदगी, मौन में सिस्टम
नावें अस्थिर हैं, रस्सियों पर संतुलन बनाकर लोग नदी पार कर रहे हैं। महिलाएं और बच्चे सबसे ज़्यादा डरे हुए हैं।
