पब्लिक फर्स्ट। भोपाल । पुनीत पटेल ।
राजधानी भोपाल की ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण का संकट लगातार गहराता जा रहा है। बीते तीन दशकों में शहर की हरियाली 66% से घटकर मात्र 6% रह गई है और विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 के अंत तक यह केवल 3% तक सिमट सकती है। बेतरतीब बसावट, अवैध दुकानें, हॉकर कॉर्नर, फल-सब्जी ठेले और सड़क विस्तार में पेड़ों की कटाई इस गिरावट के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
एनजीटी के निर्देश और सरकारी कार्रवाई
जुलाई 2025 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की सेंट्रल बेंच ने मध्य प्रदेश सरकार, भोपाल नगर निगम, वन विभाग और पीडब्ल्यूडी को आदेश दिया कि ग्रीन बेल्ट से हटाए गए अतिक्रमण स्थलों पर तुरंत सघन वृक्षारोपण किया जाए।
2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में ग्रीन बेल्ट क्षेत्र के 691–692 स्थानों पर अतिक्रमण पाया गया था। प्रशासन ने पटवारियों, निगम और वन विभाग के संयुक्त दल बनाकर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की, लेकिन अतिक्रमणकारी बार-बार लौट आते हैं।
हरियाली में भारी गिरावट
- 1990 में भोपाल की हरियाली: 66%
- 2022 में रह गई: 6%
- 2025 तक अनुमानित गिरावट: 3%
ग्रीन बेल्ट खत्म होने से भू-जल रिचार्ज घटा, तापमान नियंत्रण क्षमता कम हुई और प्रदूषण बढ़ा।
अतिक्रमण की स्थिति
भानपुर से मिसरोद, रायसेन रोड, शाहपुरा लेक, मिनाल रेसीडेंसी, कैम्पियन स्कूल सहित कई इलाकों में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर बस्तियाँ, दुकानें और बस स्टॉप बन गए हैं।
यहाँ तक कि नगर निगम कार्यालय के सामने ग्रीन बेल्ट की जमीन घेरकर दुकानें बनाई गई हैं और उनके बाहर प्रशासनिक गाड़ियाँ पार्क होती हैं, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या और बढ़ जाती है।
पर्यावरणीय असर
- पेड़ों की संख्या में लगातार गिरावट
- जलभराव और बाढ़ का बढ़ता खतरा
- वायु प्रदूषण और तापमान में बढ़ोतरी
- रहवासी क्षेत्रों में अव्यवस्था और असुविधा
विशेषज्ञों और प्रशासन की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रीन बेल्ट बचाने के लिए लोहे की फेंसिंग, सख्त निगरानी, अधिकारियों की जवाबदेही और नियमित सघन वृक्षारोपण जरूरी है।
नगर निगम, वन विभाग और पीडब्ल्यूडी द्वारा संयुक्त दल बनाकर अब शेष अतिक्रमण हटाने और वृक्षारोपण की योजना बनाई जा रही है।
निष्कर्ष
बीते 35 वर्षों में भोपाल की ग्रीन बेल्टों पर लगातार अतिक्रमण और लापरवाही ने शहर की हरियाली को लगभग समाप्त कर दिया है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भोपाल अपनी पहचान और पर्यावरणीय संतुलन दोनों खो सकता है।
