पब्लिक फर्स्ट । रिसर्च डेस्क । इतिहास ।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी की सबसे बड़ी ताक़त उनका अनशन माना गया।
- कभी अंग्रेज़ी सरकार के क़दम रोकने के लिए,
- कभी छोटे–छोटे सामाजिक मुद्दों पर नैतिक दबाव बनाने के लिए, गांधी बार–बार उपवास करते रहे।
लेकिन सवाल उठता है—
भगत सिंह की फाँसी रोकने के लिए गांधी ने अनशन क्यों नहीं किया?
मुस्लिम लीग की ज़िद और अलगाव रोकने के लिए उन्होंने उपवास क्यों नहीं किया?
और सबसे बड़ा—पाकिस्तान बनने से रोकने के लिए उन्होंने कोई अनशन क्यों नहीं किया?
14–15 जून 1947 की ऐतिहासिक बैठक:
- कांग्रेस की महासमिति ने भारत के विभाजन पर अंतिम मुहर लगाई।
- माउंटबेटन योजना को बिना औपचारिक मतदान के ही स्वीकार कर लिया गया।
- इस बैठक में गांधी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने अपने पुराने शब्द “मेरी लाश पर पाकिस्तान बनेगा” को भूलते हुए उल्टा यह कहा कि अब हिंदू, सिख और मुसलमान—तीनों की ओर से बँटवारे की सहमति दिख रही है।
यानी गांधी ने, विरोध करने के बजाय, कांग्रेस कार्यसमिति को यही समझाया कि विभाजन अब रोका नहीं जा सकता।
असली विडम्बना :
- जो गांधी छोटी-सी नीतिगत असहमति पर भी अनशन कर देते थे,
- वही गांधी भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी की फाँसी रोकने के लिए चुप रहे,
- और जब देश के टुकड़े हो रहे थे, तब उन्होंने स्वीकार्यता दिखा दी।
गांधी से सवाल :
सवाल उठते रहे हैं कि जब भगत सिंह और सैकड़ों क्रांतिकारी जेलों में फाँसी चढ़ाए जा रहे थे, तब गांधी अंग्रेज़ अधिकारियों के साथ चाय-पार्टियों और हंसी-ठिठोली में क्यों नज़र आते थे?
- यह सवाल उठता है कि क्या यह “स्वतंत्रता संघर्ष” था या अंग्रेज़ों से “समझौता और दोस्ताना व्यवहार”?
- क्रांतिकारियों के खून और बलिदान के बीच गांधी का यह रूप बहुतों को दोगला और संदेहास्पद लगता है।
- कई इतिहासकार मानते हैं कि यह उनकी “राजनीतिक रणनीति” थी, मगर जनता की नज़र में यह कमज़ोरी और अंग्रेज़ों से “साठगांठ” जैसा दिखता है।
इतिहास गवाह है—
- पाकिस्तान गांधी की लाश पर नहीं, बल्कि उनकी मौन स्वीकृति और कांग्रेस के समझौते पर बना।
- और यह निर्णय भारत को आज तक विभाजन के घाव झेलने पर मजबूर किए हुए है।
यह तथ्य लोगों को सोचने पर मजबूर करता है कि क्या गांधी का अनशन-आंदोलन सिर्फ़ चुनिंदा मौकों के लिए था, या फिर उन्होंने सच में सबसे बड़े मुद्दों पर चुप्पी साध ली थी?
सवाल ये भी कि गांधी जी वाक़ई में भारत के विभाजन के खिलाफ थे या नही !?
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