पब्लिक फर्स्ट । भोपाल । पुनीत पटेल ।
मध्यप्रदेश सहित देशभर में जनजातीय नायक महाराज राजा शंकर शाह और उनके वीर पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह को उनकी शहादत पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मातृभूमि और जनजातीय संस्कृति की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले इन वीरों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी प्राण आहुति देकर इतिहास में अमिट स्थान बनाया।
मुख्य विवरण:
- 1857 का स्वतंत्रता संग्राम: राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने गोंडवाना साम्राज्य से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका।
- वीरता और बलिदान: 18 सितंबर 1857 को अंग्रेजों ने जबलपुर में दोनों को तोप से बाँधकर शहीद कर दिया।
- प्रेरणा स्रोत: इनके बलिदान ने गोंडवाना क्षेत्र के लोगों में आज़ादी की ज्योति जलाई और आने वाली पीढ़ियों को भी मातृभूमि के लिए समर्पण का संदेश दिया।
- राज्यस्तरीय आयोजन: मध्यप्रदेश सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा जबलपुर सहित विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम, प्रतिमा पर माल्यार्पण और विचार गोष्ठियों का आयोजन किया गया।
- गौरव गाथा: दोनों वीरों की गाथा भारतीय इतिहास में अमर है और सदैव प्रेरणा देती रहेगी।
निष्कर्ष:
राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का स्वर्णिम अध्याय है। आज का दिन न केवल उनकी शहादत को याद करने का अवसर है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके साहस और त्याग से प्रेरणा लेने का भी है।
