मध्य प्रदेश के नक्सल इतिहास में रविवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। बालाघाट जिले में पहली बार एक साथ 10 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें सबसे बड़ा नाम है 77 लाख रुपये के इनामी हार्डकोर नक्सली “कबीर” का, जो लंबे समय से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बना हुआ था।
राज्य सरकार के लिए यह नक्सल विरोधी अभियान की अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। इन सभी नक्सलियों द्वारा औपचारिक रूप से हथियार डालने की प्रक्रिया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में आयोजित की जाएगी।
बालाघाट जिले के घने जंगलों में वर्षों से सक्रिय नक्सल नेटवर्क लगातार सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर रहा है। बीते महीनों में सटीक इंटेलिजेंस, संयुक्त ऑपरेशन और पुलिस की आक्रामक रणनीति के बाद नक्सली काफी कमजोर पड़ गए थे।
इसी दबाव के चलते 10 नक्सलियों ने संगठन छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इनमें 4 महिलाएँ भी शामिल बताई जा रही हैं। कबीर को बालाघाट–मंडला–छत्तीसगढ़ बेल्ट में नक्सली गतिविधियों का बड़ा चेहरा माना जाता रहा है। वह— कई बड़े IED धमाकों, पुलिस पर हमलों, हथियार खरीद नेटवर्क, ग्रामीणों को धमकाने, फोर्स पर एंबुश प्लानिंग में सीधे तौर पर शामिल रहा है।
सूत्रों ने बताया कि जंगलों में लगातार दबाव, वरिष्ठ नक्सली कमांडरों की मौत और संगठन के कमजोर होते नेटवर्क के कारण इन नक्सलियों ने हिंसा छोड़ने का फैसला किया। इसके साथ ही सरकार की नक्सल सरेंडर एवं पुनर्वास नीति ने उन्हें अपने परिवार और भविष्य के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया।
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