पब्लिक फर्स्ट।
इजराइल में सोमवार को पास हुए ज्यूडिशियल ओवरहॉल बिल के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन जारी हैं। नए कानूनी बदलाव के तहत अब इजराइल में सुप्रीम कोर्ट सरकार के किसी भी फैसले को गलत बताकर खारिज नहीं कर सकेगा। इजराइली बार एसोसिएशन ने मंगलवार को हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस में इसके खिलाफ याचिका दायर की है।
बिल के विरोध में मंगलवार को इजराइल के डॉक्टर्स की मेडिकल एसोसिएशन ने 24 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया था। यरूशलम पोस्ट के मुताबिक, उनकी हड़ताल पर लेबर कोर्ट ने रोक लगा दी, जिसके बाद डॉक्टर काम पर लौट आए।
उधर, प्रोटेस्ट के बीच क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मॉर्गन स्टेनली ने इजराइल की क्रेडिट रेटिंग घटा दी है। वहीं, यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन ने कहा है कि इजरायल में ज्यूडिशियरी की आजादी को सुरक्षित रखा जाना चाहिए। अमेरिका ने कहा है कि लोकतंत्र में बड़े बदलावों के लिए व्यापक सहमति होनी चाहिए।
29 हफ्तों के प्रदर्शन के बाद भी पास हुआ बिल
इजराइल में 29 हफ्तों से जारी प्रदर्शन के बावजूद सोमवार को ज्यूडिशियल ओवरहॉल बिल का अहम हिस्सा पास हो गया था। बिल पर वोटिंग के दौरान हजारों इजराइली तेल अवीव की सड़कों पर प्रदर्शन करते रहे। उन्होंने कहा कि बेंजामिन नेतन्याहू अब रूसी राष्ट्रपति पुतिन की तरह हो गए हैं। वो देश को तानाशाही की ओर धकेल रहे हैं।
प्रदर्शन के दौरान नॉर्थ कोरिया का झंडा भी लहराया
कानूनी बदलाव के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नारे लगाए- लोकतंत्र या विद्रोह। उन्होंने कहा कि इजराइल में तानाशाही नहीं चलेगी। इस दौरान कई पत्रकारों पर भी हमले हुए। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य बेगिन हाईवे को बंद कर दिया। कुछ प्रदर्शनकारी नेतन्याहू की तानाशाही का विरोध करने के लिए नॉर्थ कोरिया का झंडा लिए भी नजर आए। पुलिस ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया।
विपक्ष ने बिल पर वोटिंग का बायकॉट किया
सोमवार को बिल पर वोटिंग के दौरान विपक्ष के सभी 56 सदस्यों ने इसका बायकॉट किया। इसके बाद बिल 64-0 वोट से पास हो गया। इजराइल के नेशनल प्रोटेस्ट मूवमेंट ने नेतन्याहू को देश की एकता में पड़ी दरार, सेना और अर्थव्यवस्था चौपट होने का जिम्मेदार ठहराया।
नेशनल प्रोटेस्ट ने कहा कि ऐसे नेता से बात करने का कोई मतलब नहीं है जिसने खुद को रूस के राष्ट्रपति पुतिन जैसा बना लिया हो और देश को तानाशाही की तरफ धकेलने का फैसला ले लिया हो। हम नेतन्याहू से आखिर तक लड़ेंगे ताकि इजराइल एक उदार लोकतंत्र बना रहे।
नेतन्याहू बोले- हम बिल पर चर्चा के लिए तैयार
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा- मतभेद के बावजूद देश को एक साथ रहना है। अलग-अलग सरकारी महकमों के बीच संतुलन बनाने और इसे चलाने के लिए बिल बेहद जरूरी है। हम बिल पर अब भी बातचीत के लिए तैयार हैं। हमने पहले भी कोशिश की थी, लेकिन विपक्षी नेताओं ने ऐसा नहीं होने दिया।
इजराइल मजबूत लोकतांत्रिक देश है और इस तथ्य को कोई नहीं बदल सकता है। हम हर हाल में साथ खड़े रहेंगे। आपसी मतभेद के चलते दुश्मनों के सामने देश कभी भी कमजोर नहीं पड़ेगा।
विपक्ष बोला- देश के इतिहास का सबसे दुखद दिन
संसद में अपोजिशन लीडर येर लैपिड ने कहा- इजराइल के संसदीय इतिहास में 24 जुलाई 2023 एक दुखद दिन के तौर पर याद किया जाएगा। सरकार ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया। हम इस बिल और प्रोसेस को बहुत जल्द हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे।
लैपिड ने आगे कहा- सरकार और उनका अलायंस ये तो तय कर सकते हैं कि देश को किस रास्ते पर ले जाना है, लेकिन उनको यह तय करने का हक नहीं है कि देश का कैरेक्टर क्या और कैसा होगा। इंसाफ के मामलों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जा सकती। हमारी रिजर्व फोर्स के कुछ लोग फौज छोड़ने की बात कर रहे हैं। मैं उनसे कहूंगा कि विरोध अपनी जगह सही हो सकता है, ये करते रहिए, लेकिन फौज में रहकर देश सेवा का जो मौका आपको मिला है, उसे मत छोड़िए।
मीडिया से बातचीत में लैपिड ने कहा- नेतन्याहू बेहद कमजोर प्रधानमंत्री हैं। इजराइल में इस वक्त प्रधानमंत्री जैसा कोई पद मुझे नजर ही नहीं आता। प्रधानमंत्री तो कट्टरपंथियों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं। इससे देश में नफरत और बढ़ेगी।
जुडीशियल ओवरहॉल बिल का एक हिस्सा पास, जानिए क्या है पूरा प्रस्ताव
जनवरी में इजराइल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर एक प्रस्ताव जारी किया। इसके पास होने पर इजराइली संसद को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पलटने का अधिकार मिल जाएगा। इसे ‘ओवरराइड’ बिल नाम दिया गया है।
अब अगर ये बिल पास हो जाता है तो संसद में जिसके पास भी बहुमत होगा, वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट सकेगा। लोगों का मानना है कि इससे देश का लोकतंत्र और सुप्रीम कोर्ट कमजोर होगा।
BBC के मुताबिक नए बिल से निवार्चित सरकारें जजों की नियुक्ति में दखल दे सकती हैं। जिसे सही और निष्पक्ष फैसले लेनी की ज्युडीशियरी की पावर कम हो जाएगी।
नेतन्याहू का नया बिल लागू होने से किसी कानून को रद्द करने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट की ताकत सीमित हो जाएगी।
इस बिल ने इजराइल को काफी हद तक दो हिस्सों में बांट दिया है। इजराइली सेना की रीढ़ माने जाने वाले रिजर्वविस्ट (सेना को सेवा देने वाले आम नागरिक) ने कहा है कि वे सेना को अपनी सेवा देने से इनकार कर सकते हैं।