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पड़ोसी देश ने बदली किशनगंगा की धारा, हमारे किसान जमीन खो रहे
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा से सटी नियंत्रण रेखा (LoC) के पार पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में किशनगंगा नदी पर पाकिस्तान ने कॉन्क्रीट के तटबंध बनाकर नदी की धारा को बदल दिया है। पिछले 10 साल के दौरान भारतीय क्षेत्र के किसान लगभग 100 एकड़ उपजाऊ जमीन खो चुके हैं।

ये जमीन नदी के डूब क्षेत्र में चली गई है। गांदरबल से शुरू होने वाली ये नदी केरन घाटी से बहती है। भारतीय क्षेत्र में 140 किमी बहने के बाद ये PoK में मुजफ्फराबाद में झेलम नदी में मिलती है। केरन के एक बुजुर्ग शाकिर हुसैन का कहना है कि भारतीय सीमा में किशनगंगा हर साल अपनी धारा बदल रही है।

हुसैन का कहना है कि कभी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हमारी जमीन को किशनगंगा की बदलती धारा ने निगल लिया है। पाक ने मुहाने संकरे कर दिए हैं, इससे बाढ़ में किशनगंगा नदी के बैकवर्ड फ्लो (पीछे की ओर उफान) से बहुत नुकसान होता है। किशनगंगा नदी को PoK में नीलम नदी कहा जाता है।

केरन घाटी में 7 साल से पुल का काम अधूरा है
कुपवाड़ा से केरन तक पहुंचने के लिए 5 किमी तक कच्ची सड़क है। एक पुल करीब 7 साल से बन रहा है। भारत ने पिछले साल केरन घाटी को खोला था। जबकि पाक 2013 में नीलम घाटी को पर्यटकों के लिए खोल चुका। केरन में भारतीय सीमा में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं हैं।

नदी ने सड़क काट दी, 4 माह बाद भी मरम्मत नहीं
एक राजस्व अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि स्थिति गंभीर है। अप्रैल में केरन के पाईन इलाके में किशनगंगा नदी ने सड़क काट दी। इससे वाहन मुश्किल से गुजर पाते हैं। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को कई बार पत्र लिखा, लेकिन मरम्मत नहीं हुई।

‘बस फाइलें एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर में जाती हैं’
केरन ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष मुहम्मद सईद ने कहा कि कई बार ये मुद्दा उठाया, लेकिन फाइलें एक से दूसरे दफ्तर में भेज दी जाती हैं। सईद का कहना है कि किशनगंगा के तटबंधों के काम को मनरेगा में कराने का सोचा, पर भुगतान नहीं होने के कारण कोई आगे नहीं आया।

नदी के बीच का टापू भी PoK में चला गया
केरन में किशनगंगा के बीच में एक छोटा टापू पहले नो मैन्स लैंड हुआ करता था। नदी का फैलाव भारतीय क्षेत्र में बढ़ने के कारण भारत के लोगों का वहां जाना नामुमकिन हो गया है। एक स्थानीय निवासी एजाज का कहना है कि जिस प्रकार PoK में नीलम वैली को टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित किया जा रहा है, उससे लगता है कि पाक इसका फायदा उठाकर टापू पर होटल बना सकता है।

publicfirstnews.com

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