उज्जैन: सिंहस्थ के पहले उज्जैन में क्षिप्रा नदी निर्मल हो जाएगी। साथ ही हमेशा यह कलकल बहती रहेगी। इसके लिए 614 करोड़ से ज्यादा लागत की सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का शिलान्यास किया गया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और सीएम मोहन यादव ने इसकी नींव रखी है। इस परियोजना से करीब 65 गांवों के 18 हजार 800 हेक्टेयर क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। साथ ही सीएम मोहन यादव ने उज्जैन के पास नया नगर बसाने की घोषणा की है।
सिंहस्थ में क्षिप्रा जल से ही स्नान
सीएम मोहन यादव ने कहा किकि उज्जैन की दशकों पुरानी समस्या का आज अंत हो रहा है। उन्होंने कहा कि ये मां क्षिप्रा की कृपा है जो सारे देवी देवता उज्जैन में विराजे हैं। उन्होंने सिंहस्थ का जिक्र करते हुए कहा कि 2016 में नर्मदा क्षिप्रा के जल से सिंहस्थ में श्रद्धालुओं को स्नान कराना पड़ा था लेकिन अब 2028 में क्षिप्रा के जल में ही साधू-संत और श्रद्धालु स्नान करेंगे। इस परियोजना की रुपरेखा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 2024 में तैयार की थी, जिसे अब धरातल पर उतारा जा रहा है।
क्षिप्रा में हमेशा रहेगा पानी
इस परियोजना के अंतर्गत सेवरखेड़ी में 1.45 घनमीटर जल क्षमता का बैराज बनाया जाएगा। इसके बाद वर्षाकाल के जल को यहां से करीब साढ़े छह किलोमीटर दूर पाइप के जरिए लिफ्ट करके उज्जैन के ही ग्राम सिलारखेड़ी में निर्मित तालाब में एकत्रित किया जाएगा। इसके लिए तालाब की उंचाई बढ़ाकर उसके जलभराव की क्षमता में भी वृद्धि की जाएगी। जिससे तालाब में कुल 51 घनमीटर जल जमा हो सकेगा । इसके बाद जब क्षिप्रा नदी में पानी कम होगा, तब इसी तालाब से क्षिप्रा में जलापूर्ति की जाएगी। यानि क्षिप्रा में अब इसी नदी का जल रहेगा।
सितंबर 2027 में पूरा हो जाएगा काम
इस परियोजना को सितंबर-2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि 2028 में उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ महाकुंभ में पुण्यदायी स्नान के लिए आने वाले साधू-संतों और श्रद्धालुओं को शिप्रा नदी में पर्याप्त शुद्ध और पवित्र जल प्राप्त हो सकेगा।
उज्जैन के पास बसेगा नया नगर
इसके साथ ही मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन के पास साढ़े बारह हजार बीघा क्षेत्र में नया नगर बसाया जाएगा। इस स्थान पर सभी साधू-संतों, धर्मगुरुओं, महामंडलेश्वर, विभिन्न अखाड़ों को भूखंड दिये जाएंगे। उज्जैन को अब हरिद्वार की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सदावल के पास चार हैलीपेड बनाए जा रहे हैं।
क्या है ये परियोजना ?
- ये परियोजना 614 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई है.
- इसका मकसद शिप्रा नदी को प्रवाहित रखने का है.
- गांव सिलारखेड़ी तालाब की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी, ताकि ज्यादा पानी जमा हो सके.
- सेवरखेड़ी में बैराज बनाया जाएगा, जहां बारिश का पानी इकट्ठा किया जाएगा.
- इसके बाद 6.5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के जरिए पानी शिप्रा नदी में छोड़ा जाएगा.
- इससे जिले के 65 गांवों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.
- साथ ही 18,000 हेक्टेयर जमीन पर खेती की सुविधा होगी.
- उज्जैन और आसपास के इलाकों में पेयजल की समस्या भी खत्म होगी.
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