पब्लिक फर्स्ट। भोपाल
Sartaj Singh Death: पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे भाजपा नेता सरताज सिंह का गुरुवार 12 अक्टूबर को लम्बी बीमारी के चलते निधन हो गया। उन्होंने राजधानी भोपाल में 85 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। जनता के बीच बाबू जी के नाम से मशहूर सरताज सिंह लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे। सरताज पांच बार सांसद और दो बार विधायक रह चुके है, साथ ही 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में वे केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे।
5 बार रहे सांसद और 2 बार विधायक
2008 से 2016 तक मप्र सरकार में मंत्री भी रहे थे। लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में उनकी परंपरागत सीट सिवनी मालवा से टिकट न मिलने के बाद सरताज ने BJP से बगावत करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया था। और कांग्रेस के टिकट पर नर्मदापुरम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन अपने शिष्य और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ फिर से भाजपा में शामिल हो गए थे।
ऐसे शुरू हुआ सरताज का सियासी सफर
सरताज सिंह के सियासी सफर की बात करें तो 1989 से 1996 की अवधि उन्होंने नर्मदापुरम संसदीय सीट से लगातार तीन बार कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा को हराया। और इसी के साथ देश की सियासत में बाबू जी यानि सरताज सिंह का विजयी अभियान शुरू हुआ। 1998 के लोकसभा चुनाव में सरताज ने कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह को हराया था। इसके बाद 2004 लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने एकतरफा जीत हांसिल की।
2018 में करना पड़ा हार का सामना
सरताज सिंह अपने लंबे राजनैतिक जीवन में दो बार विधायक बने। आपको बता दें वर्ष 2008 में बाबू जी ने होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी हजारीलाल रघुवंशी को हार का मुख दिखाया। सरताज का विजय रथ यहीं नहीं रुका, उन्होंने साल 2013 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जीत का परचम लहराया और मंत्री बने। लेकिन इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सीतासरण शर्मा से हार का सामने करना पड़ा।