पब्लिक फर्स्ट | भोपाल
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। प्रदेश में 17 नवंबर को वोटिंग होगी।चुनाव के लिए सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में लग चुकी हैं। बात अगर सीहोर जिले की इछावर विधानसभा की करें तो यहां का मिथक अभी भी कायम है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साढ़े सोलह साल के लंबे कार्यकाल में इस विधानसभा क्षेत्र में कभी नहीं गए है। जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री रहते यहां आने के बाद पद से हटना पड़ा है। इसके पीछे कैलाश नाथ काटजू, द्वारका प्रसाद मिश्र, कैलाश जोशी, वीरेंद्र कुमार सकलेचा और दिग्विजय सिंह जैसे उदाहरण भी हैं। साथ ही मध्य प्रदेश के सीहोर जिले की इछावर विधानसभा में एक मिथक है कि जो भी मुख्यमंत्री इछावर आता है, उसके बाद से उसे अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसा पिछले कई सालों में देखने को मिला है। आपको बता दें, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके साढ़े सोलह साल के कार्यकाल के दौरान कभी भी इछावर नहीं आए है।
मिथक तोड़ने की दिग्विजय सिंह ने की कोशिश
इछावर के इस मिथक को तोड़ने की कोशिश उस समय के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की थी। बता दें, 15 नवंबर 2003 को एक सरकारी कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह इछावर पहुंचे थे। जहां उन्होंने मंच से कहा था कि मैं मुख्यमंत्री के रूप में इस मिथक को तोड़ने के लिए आया हूं। इसके बाद से ही उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद खोना पड़ा। बता दें, कांग्रेस को साल 2003 में हार का सामना करना पड़ा था। फिर इसके बाद प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई ।
कैलाश नाथ काटजू भी इसमें शामिल
1962 में उस वक्त के मुख्यमंत्री कैलाश नाथ काटजू को इछावर जाना बेहद महंगा पड़ा। दरअसल, कैलाश नाथ काटजू को अपना मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। 12 जनवरी 1962 को काटजू विधानसभा चुनाव के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इछावर गए थे, फिर इसके बाद 11 मार्च 1962 को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली थी।