उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मांतरण के मुद्दे पर एक बड़ा और सख्त बयान देकर देशभर में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “देश में हो रहा अवैध धर्मांतरण कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि एक गहरी और सुनियोजित साजिश है, जिसका मकसद समाज को विभाजित करना और भारत के सांस्कृतिक मूल स्वरूप को नष्ट करना है।”मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी एक जनसभा को संबोधित करते हुए दी, जहां उन्होंने धर्मांतरण से जुड़ी हालिया घटनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें भारत की सहिष्णुता और विविधता का दुरुपयोग कर रही हैं और भोले-भाले नागरिकों को गुमराह कर जबरन या लालच देकर उनका धर्म बदलवाने की कोशिश कर रही हैं।

योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार धर्मांतरण के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर काम कर रही है। उनकी सरकार ने पहले ही उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 लागू किया है, जिसके तहत जबरन, धोखे से या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना एक दंडनीय अपराध है।मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो भी व्यक्ति या संगठन इस तरह की गतिविधियों में लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों की नियमित निगरानी की जाए और किसी भी शिकायत पर तत्काल कार्रवाई हो।

योगी ने समाज से भी अपील की कि वह सजग और सतर्क रहे। उन्होंने कहा कि “धर्म किसी के ऊपर थोपा नहीं जा सकता, यह आस्था का विषय है, न कि मजबूरी या धोखे का परिणाम।” उन्होंने युवाओं से भी आग्रह किया कि वे किसी बहकावे में न आएं और भारतीय संस्कृति एवं सनातन मूल्यों की रक्षा करें।इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। जहां भाजपा ने मुख्यमंत्री की बातों को समाज की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया, वहीं विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यकों को डराने का प्रयास कहा।हालांकि, योगी आदित्यनाथ अपने रुख पर अडिग हैं और साफ कह चुके हैं कि “भारत को तोड़ने की किसी भी कोशिश को सरकार सफल नहीं होने देगी।”

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