पब्लिक फर्स्ट। शाजापुर। संदीप शर्मा।
शाजापुर जिले की मोहन बड़ोदिया जनपद की ग्राम पंचायत रसूलपुर के अंतर्गत आने वाला बगोदा गांव आज भी मूलभूत सुविधा – पक्की सड़क – से वंचित है। 800 से अधिक आबादी वाला यह गांव, आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग-52 से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन बुनियादी विकास से कोसों दूर है।
बरसात में दलदल, खटिया पर मरीज
गांववासियों के अनुसार, बरसात के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं। कच्चे रास्ते कीचड़ और दलदल में बदल जाते हैं। बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को स्कूल, अस्पताल या बाजार ले जाना किसी जंग से कम नहीं होता। स्वास्थ्य आपातकाल में एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती, जिसके चलते लोगों को मरीजों को खटिया पर डालकर 3 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों बेहाल
गांव के सरकारी स्कूल की इमारत जर्जर हालत में है। ग्रामीणों ने बताया कि पढ़ाई के लिए बच्चों को जोखिम उठाकर कीचड़ से गुजरना पड़ता है। वहीं, स्वास्थ्य केंद्र की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होने के कारण छोटी-मोटी बीमारियां भी बड़ी परेशानी का कारण बन जाती हैं।
ग्रामीणों की चेतावनी: नहीं बनी सड़क तो करेंगे चुनाव बहिष्कार
ग्रामीणों ने कई बार सरपंच, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक गुहार लगाई है, लेकिन अब तक कोई व्यवस्थित समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर इस बार भी सड़क नहीं बनी, तो वे आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।
क्या कहते हैं आंकड़े और जिम्मेदार?
ग्रामीणों का कहना है कि गांवों के विकास के लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन बगोदा गांव आज़ादी के 78 साल बाद भी सड़क से वंचित है। यह स्थिति प्रशासन की लापरवाही और योजनाओं के क्रियान्वयन में असमानता को उजागर करती है।
निष्कर्ष:
बगोदा गांव की यह स्थिति उन सभी विकास योजनाओं पर सवाल खड़े करती है, जो ग्रामीण क्षेत्र के उत्थान के नाम पर चलाई जा रही हैं। सड़क जैसी बुनियादी आवश्यकता पूरी नहीं हो पाना प्रशासनिक उदासीनता का संकेत है। शासन-प्रशासन को अब इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
