भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर महाकाल की नगरी उज्जैन भक्ति और उत्साह से सराबोर रही। इस अवसर पर सांदीपनि आश्रम, जो भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में विश्वविख्यात है, में हजारों श्रद्धालु एकत्रित हुए।

सुबह विशेष पंचामृत पूजन-अभिषेक से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद से ही भक्तों का तांता आश्रम परिसर में लगा रहा। भगवान कृष्ण की पाठशाला को आकर्षक मोर पंखों और फूलों से सजाया गया था, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना। भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा को भव्य परिधानों से अलंकृत किया गया।

आश्रम में आयोजित गुरुगोविंद उत्सव के तहत धार्मिक अनुष्ठान और महाआरती की गई। भक्तों ने गूंजते भजन-कीर्तन और शंख-घंटी की ध्वनियों के बीच कृष्ण भक्ति में स्वयं को भावविभोर किया।

कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी इस भव्य आयोजन में शामिल हुए। वे वर्षों से जन्माष्टमी की रात सांदीपनि आश्रम में होने वाली जन्म आरती में हिस्सा लेते आए हैं और इस बार भी उन्होंने आरती में सम्मिलित होकर भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद लिया।

सांदीपनि आश्रम का ऐतिहासिक महत्व भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। पुराणों के अनुसार, लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने यहां अपने भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ शिक्षा प्राप्त की थी। केवल 64 दिनों में उन्होंने चार वेद, छह शास्त्र, 18 पुराण, 64 कलाएं और गीता का गहन ज्ञान प्राप्त किया। यही वह स्थल है जहां कृष्ण और सुदामा की अमर मित्रता की नींव पड़ी।

इस प्रकार, जन्माष्टमी पर उज्जैन का सांदीपनि आश्रम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बना, बल्कि यह भगवान श्रीकृष्ण की ज्ञान, संस्कृति और परंपरा की विरासत का जीवित प्रतीक भी साबित हुआ।

publicfirstnews.com

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