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आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 27 जून (मंगलवार) को खत्म हो जाएगी। आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ली नवमी कहा जाता है। इस तिथि को अबुझ मुहूर्त माना जाता है, इस कारण इस दिन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम मुहूर्त देखे बिना ही किए जा सकते हैं। दो दिन बाद यानी 29 जून को देवशयनी एकादशी रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, भड़ली नवमी का महत्व काफी अधिक है। इस दिन किए गए पूजन-कर्म और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका शुभ प्रभाव जीवनभर बना रहता है। भड़ली नवमी पर गुप्त नवरात्रि खत्म होती है, इस वजह से देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करनी चाहिए।
ऐसे कर सकते हैं देवी दुर्गा की पूजा
भड़ली नवमी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में गणेश पूजा करें। इसके बाद देवी दुर्गा की पूजा शुरू करें। दुर्गा मां के साथ शिवलिंग की भी पूजा करेंगे तो बेहतर रहेगा। देवी-देवताओं का जल, दूध, पंचामृत, शहद और फिर जल से अभिषेक करें। देवी दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाएं। लाल फूल, सुहाग का सामान (चूड़ियां, चुनरी, कुमकुम, सिंदूर, आभूषण आदि) चढ़ाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा चढ़ाएं। चंदन से तिलक करें। भगवान को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इसके बाद भक्तों को प्रसाद बांटें और खुद भी लें। पूजा में शिव जी के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का और देवी मंत्र दुं दुर्गायै नम: का जप कर सकते हैं।
देवशयनी एकादशी से शुरू हो जाएगा चातुर्मास
29 जून को देवशयनी एकादशी है और इस दिन से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। इस साल सावन महीने में अधिकमास रहेगा, इस कारण चातुर्मास चार नहीं पांच माह का रहेगा। चातुर्मास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। इन दिनों भक्ति करनी चाहिए। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। विष्णु जी, शिव जी, श्रीकृष्ण आदि भगवानों के ग्रंथों का पाठ करें।
भड़ली नवमी और एकादशी पर करें दान-पुण्य
इन दोनों तिथियों पर जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, भोजन, जूते-चप्पल का दान करें। अभी बारिश का समय है तो छाते का भी दान कर सकते हैं। इन दिनों में पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन-पूजन करने की भी परंपरा है। किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाई से जुड़ी चीजें दान करें।
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