28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास में सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। सेंगोल भारतीय परंपरा का प्रतीक है, जिसका इतिहास 1947 में हुए सत्ता के हस्तांतरण से जुड़ा हुआ है।
पब्लिक फर्स्ट ब्यूरो।
सेंगोल एक राजदंड की तरह है, इसका इस्तेमाल चोल साम्राज्य में होता था, जब चोल साम्राज्य का कोई राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित करता था तो सत्ता हस्तांतरण के तौर पर सेंगोल दिया जाता था. नए संसद भवन में स्पीकर की सीट के पास सेंगोल की स्थापना की जाएगी, गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. ये सेंगेाल चोल वंश से जुड़ा है, इतिहासकारों के मुताबिक चोल वंश में जब सत्ता हस्तांतरित होती थी जो एक निवर्तमान राजा दूसरे राजा को सेंगोल सौंपता था. इसे सत्ता की पावर का केंद्र माना जाता है.
खास बात ये है कि 14 अगस्त 1947 की आधी रात को जब भारत आजाद हुआ तो भारत की स्वतंत्रता और सत्ता हस्तांतरित के तौर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यही सेंगोल सौंपा गया था. नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में एक बार फिर इस प्रक्रिया को दोहराया जाएगा. आइए जानते हैं कि आखिर सेंगोल क्या है और कैसे ये आजादी का प्रतीक बन गया ?
सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक
अमित शाह ने कहा कि संगोल का इतिहास इतना पुराना है, लेकिन इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है।सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया।
स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा
सेंगोल को नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता इसलिए जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से आए हुए अधीनम से सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।publicfirstnews.com
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