पब्लिक फर्स्ट।
टाइटन पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज के मलबे से 1600 फीट दूर मिला है। ओशेनगेट कंपनी ने बताया है कि टाइटन पर सवार सभी 5 लोगों की मौत हो गई है। इस पनडुब्बी पर सवार 5 लोगों में 4 अरबपति, कारोबारी थे। अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने गुरुवार शाम तक पनडुब्बी में ऑक्सीजन खत्म होने की आशंका जताई थी। मॉडर्न C-130 हरक्यूलस, P-8 समेत 16 एयरक्राफ्ट इस पनडुब्बी की खोज और बचाव में लगे हैं।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि जान जोखिम में डालकर समुद्र में 13 हजार फीट नीचे अरबपति क्यों गए थे, क्या है टाइटैनिक टूरिज्म जिसके एक टिकट के लिए 2 करोड़ रुपए तक खर्च करते हैं लोग?
आज से करीब 111 साल पहले 15 अप्रैल 1912 को उत्तरी अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक नाम का एक जहाज डूब गया था। इसमें करीब 1,500 लोगों की मौत हो गई। दुर्घटना के 73 साल बाद यानी 1985 में कनाडा के पास न्यूफाउंडलैंड द्वीप के पास इस जहाज का मलबा मिला। ये मलबा समुद्र के 13 हजार फीट नीचे था।
इस मलबे की जानकारी फैलते ही लोग इसे देखने की इच्छा जाहिर करने लगे। 2021 में अटलांटिक में पड़े इस मलबे को दिखाने के लिए अमेरिकी कंंपनी ओशेनगेट ने टाइटैनिक टूरिज्म की शुरुआत की। 18 जून से जो पनडुब्बी गायब है, वो 4 अरबपतियों समेत 5 लोगों को लेकर टाइटैनिक टूरिज्म पर ही गई थी।
हाइड्रोस्पेस ग्रुप के मालिक विलियम कोह्नन के मुताबिक कुछ लोगों को हवाई द्वीप और कैरेबियन द्वीप के करीब समुद्र की गहराईयों में जाना पसंद है। यहां समुद्र के अंंदर कलरफुल लाइफ और चट्टानें लोगों को रोमांचित करती हैं।
अमेरिकी पब्लिक रिलेशन कंपनी TARA के मालिक डी अन्नुंजियो का कहना है कि अमीर लोगों के लिए पैसा ज्यादा महत्व नहीं रखता है। वह जीवन में रोमांच करना चाहते हैं। कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिसे जीवन भर ना भुला पाएं। इसी वजह से अमीर लोग इस तरह की समुद्री यात्राएं करते हैं।
8 दिन की यात्रा, एक टिकट 2 करोड़ रुपए का
ओशेनगेट कंपनी टाइटैनिक टूरिज्म पर ले जाने के लिए एक व्यक्ति से 2.50 लाख डॉलर यानी करीब 2 करोड़ रुपए लेती है। कनाडा के सेंट जॉन न्यूफाउंडलैंड से इस यात्रा की शुरुआत होती है। ये समुद्री यात्रा 8 दिन और 7 रात की होती है। कंपनी इस टूर पर एक बार में ज्यादा से ज्यादा 5 लोगों को लेकर जाती है।
ट्रैवल कंपनी ब्राउन एंड हुडसन के फाउंडर फिलिप ब्राउन का कहना है कि इस समुद्री यात्रा को और ज्यादा रोमांचक बनाने के लिए इस तरह की कंपनियां एक और पैकेज ऑफर करती हैं। इसके लिए हर व्यक्ति से 293,535 डॉलर यानी करीब ढाई करोड़ रुपए तक लिए जाते हैं।
इस यात्रा पर जाने वाले लोगों को एक महीने पहले से ही तैयार किया जाता है। पनडुब्बी लोगों को लेकर समुद्र की 19 हजार फीट की गहराई तक जाती है।
ओशेनगेट की वेबसाइट पर जाकर कोई भी टाइटैनिक टूरिज्म के लिए अपना स्लॉट बुक कर सकता है। हालांकि इसके लिए कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया भी तय किया गया है। जैसे..
18 साल से ज्यादा उम्र वाले ही टाइटैनिक टूरिज्म पर जा सकते हैं।
कनाडा से ये यात्रा शुरू होती है। ऐसे में वहां जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा जरूरी है।
एक सप्ताह तक पनडुब्बी में रहने की क्षमता हो।
पानी के अंदर किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हों।
6 फीट की सीढ़ी पर तेजी से चढ़ने और 10 किलो तक वजन आसानी से उठा सकते हों।
टाइटन पर सवार अरबपतियों के जिंदा बचने की संभावनाएंं कम क्यों थी?
सीएनएन के मुताबिक टाइटैनिक टूर पर गए लोगों के बचने की संभावनाएं बेहद कम थीं। इसकी 3 वजहें हैं…
अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने संभावना जताई थी कि टाइटन में गुरुवार को ऑक्सीजन खत्म हो सकता है। ऐसे में ऑक्सीजन खत्म होने से पहले टाइटन का पता चल पाता तभी पैसेंजर की जान बच पाती।
13 हजार फीट से भी ज्यादा गहराई में जाकर टाइटन पनडुब्बी गायब हुई। यही वजह रही कि उसकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही थी।
इंग्लैंड के फोरेंसिक भूविज्ञान एक्सपर्ट जेमी प्रिंगल के मुताबिक पानी में बचाव कार्य करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि समुद्र एक बेहद चुनौतीपूर्ण वातावरण है। इसमें पानी के कई स्तर होते हैं, धाराएं होती हैं और समुद्र तल भी जमीन की तुलना में काफी उबड़-खाबड़ होता है।
क्या है डार्क टूरिज्म जो पनडुब्बी लापता होने के बाद से चर्चा में है…
ग्लासगो कैलेडोनियन विश्वविद्यालय स्कॉटलैंड में टूरिज्म सब्जेक्ट के प्रोफेसर जे. जॉन लेनन वॉशिंगटन पोस्ट को बताते हैं कि डार्क टूरिज्म घटना नहीं बल्कि एक शब्द है। दरअसल, अपने साथियों के साथ रिसर्च के दौरान उन्हें पता चला कि 1815 में हुई वाटरलू की लड़ाई देखने कई लोग गाड़ियों से गए थे।
उन्हें पता था कि इस दौरान वह मारे जा सकते हैं, लेकिन फिर भी वह रोमांच के लिए जंग के मैदान में जाते थे। उनका दावा है कि इसके बाद ही 1996 में उन्होंने पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल किया था।
आज के समय में डार्क टूरिज्म में लोग उन जगहों पर जाना पसंद करते हैं, जहां पर त्रासदी के निशान आज भी मौजूद हैं। इन जगहों पर जाकर लोग युद्ध की विभीषिका, बड़ी आपदा, दुख और नरसंहार की कहानी को देखते हैं। टाइटन पनडुब्बी से भी 5 लोग टाइटैनिक जहाज के मलबे को ही देखने के लिए समुद्र के अंदर गए थे।
publicfirstnews.com