पब्लिक फर्स्ट। सिंगापुर।

सिंगापुर ने अंतरराष्ट्रीय विरोध के बावजूद एक हफ्ते के भीतर 3 लोगों को फांसी दी है। गुरुवार यानी आज सिंगापुर की सरकार ने एक 39 साल के युवक मोहम्मद सालेह अब्दुल लतीफ को फांसी दी है। इससे 2019 में 54 ग्राम हेरोइन जब्त की गई थी। ब्यूरो के मुताबिक ये हेरोइन 600 लोगों तक नशा पहुंचा सकती थी।

ट्रायल के दौरान अब्दुल लतीफ ने दलील दी थी कि उसे इस हेरोइन को लेकर कोई जानकारी नहीं थी। उसने दोस्त का उधार चुकाने के लिए उसके सामान को डिलीवर किया था। उसे नहीं पता था वो सामान हेरोइन है। हालांकि, कोर्ट ने ये दलील मानने से इनकार कर दिया। जज का कहना था कि अब्दुल लतीफ अपने दोस्त से इतना करीब नहीं था कि उस पर इतनी आसानी से विश्वास करता।

सिर्फ डिलीवरी करने पर मौत की सजा
सजा सुनाते वक्त सिंगापुर की कोर्ट ने माना कि अब्दुल लतीफ ने हेरोइन सिर्फ डिलीवर की थी। वो किसी ड्रग रैकेट से नहीं जुड़ा था। इसके बावजूद उसे इतनी कड़ी सजा सुनाई गई। दरअसल, सिंगापुर के कानून के तहत अगर किसी भी व्यक्ति से 500 ग्राम से ज्यादा गांजा या 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन तस्कर करते हुए पाया जाता है तो उसे मौत की सजा दी जाती है।

UN समेत कई देश सिंगापुर के इस कानून के खिलाफ विरोध जता चुके हैं। हालांकि, सिंगापुर नशे की तस्करी को काबू में रखने के लिए इस कड़ी सजा को जरूरी ठहराता है। जबकि पड़ोसी देश थाईलैंड ने गांजे के इस्तेमाल को कानूनी तौर पर मंजूरी दे दी है। वहीं, मलेशिया ने फांसी सजा को खत्म कर दिया है।

हेरोइन रखने पर 2 और लोगों को मिल चुकी फांसी
सिंगापुर ने इसी हफ्ते में एक महिला और पुरुष को भी फांसी दी थी। महिला से 2018 में 31 ग्राम हेरोइन जब्त की गई थी। उसका नाम सारीदेवी बिंते जमानी बताया गया था। उसे 1 किलो हेरोइन बेचने का दोषी पाया गया था।

सिंगापुर में पिछले 20 सालों में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी गई थी। इससे पहले 2004 में एक 36 साल की हेयर ड्रेसर महिला ड्रग्स की तस्करी के जुर्म में फांसी दी गई थी। इस हफ्ते में मोहम्मद अजीज हुसैन नाम के एक व्यक्ति को भी फांसी की सजा दी गई। इससे 50 ग्राम हेरोइन जब्त की गई थी।

दुनिया में सबसे बड़ा बिजनेस हब माने जाने वाला सिंगापुर फांसी की सजा के मामले में चीन, नॉर्थ कोरिया और ईरान जैसे देशों की सूची में शामिल है। सिंगापुर की सरकार मौत की सजा को ड्रग्स की तस्करी रोकने में अहम हथियार मानती है। सरकार का दावा है कि वहां के लोग भी इस सजा से सहमत हैं।

publicfirstnews.com

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