पब्लिक फर्स्ट।
आज मशहूर गायिका आशा भोसले का 90वां जन्मदिन है। वे 20 भाषाओं में 11 हजार से ज्यादा गाने गा चुकीं आशा जी उम्र के इस पड़ाव पर भी उतनी ही एक्टिव आज भी हैं। अपने 90वें जन्मदिन पर वे दुबई में शो कर रही हैं।
पं. दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी बेटी आशा जी ने जब फिल्मी दुनिया में बतौर गायिका कदम रखा तो उन पर लता मंगेशकर की छोटी बहन होने का भी दवाब था। लता मंगेशकर तब तक फेमस गायिका बन चुकी थीं।
अपनी बहन लता दीदी से अलग आशा जी ने गायिकी का एक अलग ही अंदाज प्रकट किया किया। हजारों गाने, सैकड़ों लाइव शो और अनगिनत यादगार लम्हे, उनकी जिंदगी में इन सब के अलावा भी बहुत कुछ घटित हुआ है।
90वें जन्मदिन के मौके पर आइये जानते है आशा जी से जुडी दिलचस्प बाते :
आशा ताई का बचपन
आशा ताई के नाम से दुनियाभर मे अपनी पहचान बनाने वाली आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 महाराष्ट्र के सांगली गांव में हुआ था। उनके पिता जाने माने क्लासिकल सिंगर दीनानाथ मंगेशकर थे। उन्हें बचपन से ही गाने का शौक था और घर पर माहौल भी संगीत का था। इसलिए मात्र दस साल की उम्र से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। आशा स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की छोटी बहन हैं।
वैवाहिक जीवन
आशा ने बहुत छोटी उम्र में अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ उम्र से 16 साल बड़े गणपत राव भोंसले से शादी कर ली थी। गणपत राव, लता मंगेश्कर के पर्सनल सेक्रेटरी थे जो उनका सारा काम संभालते थे। इसी दौरान आशा की गणपतराव से नजदीकियां बढ़ीं और दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो गया, लेकिन इस शादी के लिए घरवाले तैयार नहीं थे। ऐसे में दोनों ने घर से भागकर शादी कर ली। उस समय आशा की उम्र मात्र 16 साल थी, जबकि गणपतराव 31 साल के थे। लेकिन दोनों की शादी ज्यादा दिनों तक टिकी नही।
ससुराल वालो ने जब घर से निकला आशा भोसले जी को
आशा के जीवन में तब उथल-पुथल आया जब गणपतराव के परिवार ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। ना सिर्फ इतना ही, उनके साथ मारपीट करने की भी कोशिश की गई। और एक दिन ऐसा आया जब गणपतराव ने एक दिन उन्हें घर से निकाल दिया। उस समय वो गर्भावस्था मे थीं। ससुराल से निकाले जाने के बाद वो अपने दोनों बच्चों हेमंत और वर्षा के साथ अपने मायके वापस आ गयी
आशा भोसले जी की दूसरी शादी
एस डी बर्मन के बेटे और संगीतकार राहुल देव बर्मन से आशा ने दूसरी शादी की, जो उनसे 6 साल छोटे थे। आशा और आर डी बर्मन 1980 में शादी की । यह आरडी की भी दूसरी शादी थी। फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ के दौरान आर डी बर्मन ने आशा भोसले से गाने के लिए संपर्क किया था और यही से दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई।
संगीत की दुनिया
आशा के कॅरियर का पहला गीत साल 1948 में आई फिल्म ‘चुनरिया’ का गीत ‘सावन आया…’ है। साल 1957 में संगीतकार ओपी नैय्यर के संगीत निर्देशन में बनी निर्माता-निर्देशक बी आर चोपड़ा की फिल्म ‘नया दौर’ आशा के कॅरियर का अहम पड़ाव रहा। वहीं फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में आशा भोंसले ने आर डी बर्मन के संगीत में ‘आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा…’ गाने को अपनी आवाज दी। ये गाना सुपरहिट रहा।
60 और 70 के दशक मे वो हिंदी फिल्मों की फेमस एक्ट्रेस हेलन की आवाज समझी जाती थीं। उन्होंने हेलन के लिए ‘तीसरी मंजिल’ में ‘ओ हसीना जुल्फों वाली…’ ‘कारवां’ में ‘पिया तू अब तो आजा…’, ‘मेरे जीवन साथी’ में ‘आओ ना गले लगा लो ना…’ और ‘डॉन’ में ‘ये मेरा दिल यार का दीवाना…’ गीत गाए है। वहीं फिल्म ‘उमराव जान’ से वो एक कैबरे सिंगर और पॉप सिंगर की छवि से बाहर निकली और लोगों को यह अहसास हुआ कि वह हर तरह के गाने भी गा सकती हैं। ‘उमराव जान’ के लिये आशा ने ‘दिल चीज क्या है…’ और ‘इन आंखो की मस्ती के…’ जैसे गाने गाएं।
आशा भोसले जी की उपलब्धियां
फिल्म ‘उमराव जान’ के लिए उन्हें अपने कॅरियर का पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था। आशा भोसले को दादा साहेब फाल्के और पद्म विभूषण अवार्ड से नवाजा जा चुका है। वहीं, उन्हें 18 बार फिल्मफेयर के लिए नामांकित किया गया, जिसे उन्होंने 8 बार इसे जीता है। 1979 में फिल्मफेयर जीतने के बाद उन्होंने इसके लिए उन्हें नोमिनेट करने से यह कहकर मना कर दिया कि नई प्रतिभाओं को मौका मिलना चाहिए। उनको 2001 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अवार्ड भी मिल चुका है।
वास्तव ,में आशा भोसले का जीवन न सिर्फ संगीत जगत के लिए बल्कि हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। आशा जी ने अपने निरंतर संघर्ष और कठिन मेहनत से हम सभी को सिखाया है कि यदि व्यक्ति ठान ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है।