पब्लिक फर्स्ट | दिल्ली
बाटला हाउस एनकाउंटर केस में दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। साकेत कोर्ट द्वारा 2021 दोषी ठहराए गए आतंकी आरिज खान की मौत की सजा पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की बेंच ने दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या के मामले में बड़ा फैसला दिया। आपको बता दें बीते 18 अगस्त को दिल्ली पुलिस और दोषी आरिज खान के वकीलों द्वारा पेश की गई दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है बाटला हाउस एनकाउंटर केस?
आपको बता दें दिल्ली में हुए सीरियल बम ब्लास्ट की जाँच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल 19 सितंबर 2008 को दिल्ली स्थित जामिया इलाके के बाटला हाउस में आरोपियों को धार दबोचने पहुंचे थी। इस दौरान पुलिस और आतंकियोें के बीच हुई मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। साथ ही पुलिस की टीम आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े आतंकियों को पकड़ने में भी नाकामियाब रही। मोहन चंद शर्मा की हत्या के बाद आरोपी आरिज खान मौके से फरार हो गया था। लेकिन सुरक्षा एजेंसियां लगातार उसकी खोज में जुटी हुई थी, जिसकेपरिणाम स्वरुप 14 फरवरी, 2018 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आरिज खान को गिरफ्तार कर लिया था ।
दोषी के वकील द्वारा दिए तर्क से सहमत है कोर्ट ?
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आतंकी आरिज खान के वकील ने साकेत कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा का विरोध करते हुए ये तर्क दिया था कि ऐसा नहीं है कि उनके मुवक्किल यानि आरिज खान को सुधारा नहीं जा सकता। लेकिन यदि फिर भी कोर्ट को लगता है कि आरिज खान में सुधार की काेई गुंजाइश नहीं है तो भी नियम कहते है ऐसे अपराधी को फांसी की जगह उम्रकैद की सजा भी दी जा सकती है।
दिल्ली पुलिस ने दी ये दलीलें
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर राजेश महाजन ने आरिफ को मिली फांसी की सजा पर सहमति जताते हुए दलील दी कि एक ऑन ड्यूटी पुलिस अधिकारी का मर्डर दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है। ऐसे में दोषी पर किसी भी प्रकार की दया किए बिना हरहाल में मौत की सजा मिलनी चाहिए। आपको बता दें दिल्ली पुलिस ने आरिज की सामाजिक जांच और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण रिपोर्ट को भी हाई कोर्ट में पेश किया है। जिसमे बताया गया है कि जेल में आरिफ खान का आचरण असंतोषजनक रहा है।