दिल्ली की एक अदालत ने कश्मीरी अलगाववादी शब्बीर अहमद शाह को रिहा करने का आदेश दिया है, जो 26 जुलाई, 2017 से आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद थे। पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरज मोर ने अपने आदेश में कहा कि शाह की न्यायिक हिरासत मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम सात साल की जेल अवधि से अधिक है, और वह सीआरपीसी की धारा 436 ए के तहत रिहा होने का हकदार है। अदालत ने उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, “यदि किसी अन्य मामले में इसकी आवश्यकता नहीं है”, और उसके खिलाफ आरोपों पर दलीलों की सुनवाई के लिए मामले को 23 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया। हालांकि, एनआईए द्वारा दर्ज किए गए चल रहे मामलों में शाह जेल में ही रहेंगे।
शाह को जून 2019 में आतंकी फंडिंग मामले में एनआईए ने गिरफ्तार किया था और अक्टूबर 2019 में दायर दूसरे पूरक आरोपपत्र में आरोपी बनाया गया था। शाह के खिलाफ आरोपों में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाना, मारे गए आतंकवादियों के परिवार को श्रद्धांजलि देना, हवाला लेनदेन के जरिए धन प्राप्त करना, एलओसी व्यापार के जरिए धन जुटाना और विध्वंसक और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल है।
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Tuesday, September 10
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