पब्लिक फर्स्ट | उत्तरकाशी |
दिवाली के दिन उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिक जल्द बाहर आ सकते हैं।
रेस्क्यू कार्यों का जायजा लेने पहुंचे सीएम धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिल्कयारा सुरंग में चल रहे बचाव अभियान का जायजा लेने के लिए उत्तरकाशी पहुंचे हैं।
बरमा से अब और ड्रिलिंग नहीं होगी: अर्नोल्ड डिक्स
सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान पर अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स कहते हैं, “इसके कई तरीके हैं। यह सिर्फ एक ही रास्ता नहीं है। फिलहाल, सब कुछ ठीक है। अब ऑगरिंग नहीं देख पाएंगे। ऑगर खत्म हो गया है। बरमा (मशीन) टूट गया है। उन्होंने बताया कि बरमा से अब कोई काम नहीं होगा और कोई नया बरमा नहीं होगा।
ऑगर मशीन को भारी नुकसान
सुरंग के भीतर ऑगर मशीन को भारी नुकसान पहुंचा है। मशीन का बरमा भीतर ही अटक गया है। फिलहाल वर्टिकल ड्रिल की तैयारी तेज कर दी गई है। वहीं दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि भीतर मजदूर भी हताश हो रहे हैं। लगातार उनका हौसला बढ़ाया जा रहा है, लेकिन आज ऑपरेशन सिलक्यारा में आई बाधा से 14 दिन से सुरंग में कैद मजदूरों में निराशा बढ़ गई है।
कांग्रेस ने सिलक्यारा सुरंग को लेकर खड़े किए सवाल
कांग्रेस ने सिलक्यारा सुरंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी के एस्केप पैसेज के निर्णय के प्रमाण दिखाते हुए सुरंग निर्माण में गंभीर अनियमितता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि बिना एस्केप पैसेज और आपातकालीन निकासी के पहाड़ में सुरंग निर्माण का खेल किसे लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
जियो फिजिकल जांच भी नहीं आ पाई काम
ऑपरेशन सिलक्यारा को शुक्रवार को शुरू करने से पहले एनएचआईडीसीएल ने पारसन कंपनी के जियो फिजिकल विशेषज्ञों से टनल के मलबे की मैपिंग कराई, जिसमें बताया कि अगले 5 मीटर तक कोई लोहे जैसा अवरोध नहीं है। हालांकि उनकी मैपिंग का ये फार्मूला 1.5 मीटर बाद ही फेल हो गया।
ऑगर ड्रिलिंग में बाधा के कारण अब चलेगा मैनुअल अभियान
ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा। मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। इसमें अंदर फंसे मजदूर भी खेवनहार बन सकते हैं। यह विचार कल से ही चल रहा है।
दो योजनाओं पर विचार शुरू
तमाम व्यवधानों और उम्मीदों के बीच अब इस बात पर विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से नौ मीटर मलबा हटवा दिया जाए। दूसरा विचार यह चल रहा है कि ऑगर मशीन की जगह मैनुअली कचरा हटाना शुरू किया जाए।
मौके पर पहुंचे डीएम रुहेला
उत्तरकाशी के डीएम अभिषेक रुहेला बचाव कार्यों का मुआयना करने के लिए मौके पर पहुंच गये हैं। उम्मीद की जा रही है कि आज सभी मजदूर सकुशल बाहर निकल आएंगे।
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सिलक्यारा में ही मौजूद
केंद्र सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह सिलक्यारा में ही मौजूद है। वह अब तक दो बार सुरंग के अंदर जाकर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू करने की कवायद का जायजा ले चुके हैं।
अब 9 से 12 मीटर की ही ड्रिलिंग शेष
सिलक्यारा टनल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टनल विशेषज्ञ कर्नल परिक्षित मेहरा ने बताया कि जल्द ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू होगा। बताया कि सब कुछ ठीक रहा तो शाम पांच बजे तक एस्केप टनल बनाने का काम पूरा हो जाएगा। अब 9 से 12 मीटर की ही ड्रिलिंग शेष है।
मजदूरों बढ़ा उत्साह
सुरंग से बाहर आए कर्मचारियों ने बताया कि भीतर गैस कटर से उठे धुएं की महक मजदूरों तक पहुंची हैं। उन्होंने वॉकी-टॉकी पर भीतर से ये जानकारी दी है। इससे 13 दिन से सुरंग में कैद मजदूरों का उत्साह बढ़ गया है।
सुरंग में एडवांस ड्रोन ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से दिखाई राह
बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा के छह टनलिंग-माइनिंग विशेषज्ञ इंजीनियर की टीम ने सुरंग में पहुंचकर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से भीतर के हालात बताए, जिससे अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में काफी मदद मिली। बीआरओ के डीडीजी ब्रिगेडियर विशाल वर्मा ने मलबे के भीतर ड्रिल में आ रही दुश्वारियों के बीच बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा एंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मदद ली।
अब मजदूरों को दिया जा रहा पका हुआ भोजन
सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों का भी खाने-पीने का भी ध्यान रखने वाली सात सदस्यीय टीम के लीडर रत्नाकर दास ने बताया कि पूर्व में 4 इंच के पाइप से हर 45 मिनट में अंदर फंसे मजदूरों को मुरमुरे, भूने चने, भीगे चने, बादाम, काजू, किशमिश और पॉपकार्न व मूंगफली दी जाती थी। जिसे वह स्टोर करके खाया करते थे। अब छह इंच का पाइप पहुंचने के बाद से मजदूरों को पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। उनकी टीम मजदूरों और बचाव कार्य में लगी टीम के सुबह के नाश्ते, दिन व रात के खाने को पहुंचाने में दिन-रात जुटी रहती है।
मजदूरों के लिए भेजा गया नाश्ता
सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को आज नाश्ते में दूध, ब्रेड और चने दिए गए। इससे पहले बृहस्पतिवार को नाश्ते में उपमा तथा लंच में दाल-भात खाया। एक विशेष टीम ने उन तक यह सब पहुंचाया। यह टीम सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों के भी खाने-पीने का भी ध्यान रखती है।
आज रात तक मजदूरों के बाहर आने की उम्मीद
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अभी स्थिति काफी ठीक है। कल रात हमें दो चीज़ों पर काम करना था। सबसे पहले, हमें मशीन के प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन कर दिया और इसके बाद पाइप पर जो थोड़ा दबाव था उसे काटने का काम चल रहा है। ये पूरा हो जाने के बाद हमने ऑगर ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्सन्स कंपनी ने ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार से जो अध्ययन किया है उसे हमें पता चला कि अगले 5 मीटर तक कोई धातु अवरोध नहीं है। इस हिसाब से अगर ड्रिल मशीन ठीक चली तो पाइप सुरंग में फंसे मजदूरों के बेहद करीब पहुंच जाएगा। शाम तक उनके बाहर आने की उम्मीद है।
ड्रिलिंग शुरू
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। कोई अड़चन नहीं आई तो आज एस्केप टनल बनाने का काम पूरा हो जाएगा।
चिकित्सा टीम को अलर्ट मोड पर रखा गया
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकाले जाने के बाद चिकित्सीय सुविधा देने के लिए एम्स ने भी पूरी तैयारियां की हैं। एम्स प्रशासन का कहना है कि यदि मजदूरों को एम्स भेजा गया तो उन्हें बेहतर चिकित्सीय सुविधा प्रदान की जाएगी।
आज उड़ीसा से रेक्स्यू सामान लेकर आएगी मालगाड़ी
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए रेस्क्यू का सामान लेकर आज शुक्रवार को उड़ीसा से एक मालगाड़ी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। बुधवार को गुजराती के वापी से दो ड्रिलिंग मशीन को मंगाने के बाद एक मालगाड़ी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंची थी। यहां से चार ट्रकों से मशीन को उत्तरकाशी भेजा गया था। उड़ीसा से मालगाड़ी पहुंचने के बाद रेस्क्यू उपकरणों को उत्तरकाशी भेजा जाएगा। योगनगरी रेलवे स्टेशन के स्टेशन प्रबंधक जीएस परिहार ने बताया कि एक मालगाड़ी देर रात तक ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी।
केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने भी डाला डेरा
बृहस्पतिवार को बचाव अभियान का निरीक्षण करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (सेनि) वीके सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। निरीक्षण के बाद केंद्रीय मंत्री वीके सिंह जहां टनल से पहले बने कार्यालय में बैठ गए तो मुख्यमंत्री ने भी उत्तरकाशी के निकट स्थित मातली में डेरा डाल लिया। खबर लिखे जाने तक दोनों नेता मजदूरों के सकुशल बाहर आने का इंतजार कर रहे थे।
ड्रिलिंग के दौरान कंपन तेज होने से मशीन का बेस हिल
बीते गुरुवार रातभर मशीन का बेस मजबूत करने के लिए काम किया गया। बेस मजबूत होने के बाद ही ड्रिलिंग का दोबारा शुरू हो पाएगी। ऑगर मशीन का बेस हिलने के चलते ड्रिलिंग का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। ड्रिलिंग के दौरान कंपन तेज होने से मशीन का बेस हिल गया था। वहीं सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को आज 13वां दिन हो चुका है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए 800 एमएम के स्टील पाइपों से 51 मीटर तक एस्केप टनल तैयार की जा चुकी है।
रेस्क्यू अधिकारी ने बताई ड्रोन तकनीक की खासियत
बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही ड्रोन तकनीक पर स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ कहते हैं कि यह (ड्रोन) नवीनतम तकनीकों में से एक है जो सुरंग के अंदर जा सकती है। जिन क्षेत्रों में जीपीएस का नहीं करता इसकी पहुंच वहां भी है।
मदजूरों के खाने-पीने के लिए तैयारी
सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों के लिए खाने-पीने का सामान पैक किया जा रहा है। आज उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय की निर्बाध ड्रिलिंग के बाद सभी मजदूर बाहर निकाल लिये जाएंगे।
प्राथमिकता सुरंग में फंसे श्रमिक भाइयों को निकालना- धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, इस समय मेरी चिंता सुरंग में फंसे हुए उन श्रमिक भाइयों को लेकर है, जिनके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विश्व स्तरीय तकनीकी के प्रयास चल रहे हैं। बहुत जल्द हम इस ऑपरेशन को पूरा करने में सफल होंगे। वह क्षण हमारे लिए वास्तविक इगास का होगा। हम सभी प्रदेशवासियों की कामना है कि हम सब उनका मनोबल बढ़ाएं और प्रार्थना करें कि बचाव ऑपरेशन जल्द सफलतापूर्वक पूर्ण हो।
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं केंद्र व राज्य सरकार की 19 एजेंसियां
सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में केंद्र व राज्य सरकार की 19 एजेंसियां जुटी हैं। चारधाम महामार्ग परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में हादसे के बाद सुरंग निर्माण करवा रही कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल, जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, आपदा प्रबंधन विभाग, पुलिस व होमगार्ड्स की टीम सबसे पहले मौके पर पहुंची थी।
लेकिन तकनीकी कारणों के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा खिंचने पर केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियां भी यहां पहुंच गईं। इनमें बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, लार्सन एंड टूब्रो, टीएचडीसी, ओएनजीसी, भारतीय सेना, डीआरडीओ, परिवहन मंत्रालय व कोल इंडिया भी शामिल हुए।
जिनके बीच समन्वय के लिए भारत सरकार के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे, प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल, राज्य सरकार में सचिव नीरज खैरवाल, आपदा सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा, एनएचआईडीसील के एमडी महमूद अहमद, परिवहन मंत्रालय में सचिव अनुराग जैन, उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रूहेला व एसपी अर्पण यदुवंशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें से कई अधिकारी हादसे के बाद से ही सिलक्यारा में ही डेरा डाले हुए थे।
केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने डाला डेरा
बृहस्पतिवार को बचाव अभियान का निरीक्षण करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (सेनि.) वीके सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। निरीक्षण के बाद केंद्रीय मंत्री वीके सिंह जहां टनल से पहले बने कार्यालय में बैठ गए तो मुख्यमंत्री ने भी उत्तरकाशी के निकट स्थित मातली में डेरा डाल लिया। दिनभर दोनों नेता मजदूरों के सकुशल बाहर आने का इंतजार करते रहे।
जिंदगियां कैद से आजाद होने को बेकरार…बाहर ड्रिलिंग शुरू होने का इंतजार
41 मजदूरों को 12वां दिन भी सुरंग के भीतर ही बिताना पड़ा। ऑगर मशीन के सामने आए सरिया को काटने में ही घटों बीत गए, ये कटे तो मशीन का बेस हिलने से काम बाधित हो गया। देर शाम अफसरों ने बताया कि अब दोबारा ड्रिलिंग शुक्रवार सुबह ही शुरू होगी, वहीं ये भी चर्चाएं रहीं कि सुबह तक मजदूरों को निकाल लिया जाएगा।
सुरंग में ऐसे बिछी है पाइपलाइन
श्रमिकों को बचाने के लिए सिल्क्यारा सुरंग के अंदर बिछाई गई पाइपलाइन के अंदर का दिख दृश्य।
मुख्यमंत्री धामी ने सुरंग में फंसे मजदूरों से की बात
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुरंग में फंसे मजदूरों से बात की। उन्होंने अंदर फंसे श्रमिक गबर सिंह से फोन पर बात कर उनका हौसला बढ़ाया। बताया कि उन्हें पूरी तरह सुरक्षित बाहर लाने के लिए यहां पूरी टीम कोशिश कर रही है। सीएम ने श्रमिकों के स्वास्थ्य का हाल पूछते हुए कहा कि बस अब कुछ देर और अपना हौसला बनए रखें। किसी भी तरह की चिंता न करें।
पीएम मोदी ने सीएम धामी से फिर लिया रेस्क्यू ऑपरेशन का अपडेट
सीएम धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज फोन कर सिलक्यारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली। उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों एवं प्रदेश प्रशासन के समन्वय से युद्ध स्तर पर संचालित राहत एवं बचाव कार्यों में हो रही प्रगति से पीएम मोदी को अवगत कराया। बताया कि प्रधानमंत्री को मौक़े पर श्रमिकों के उपचार व देखभाल के लिए चिकित्सकों की टीम, एम्बुलेंस, हेली सेवा एवं अस्थायी हॉस्पिटल की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने एवं किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में एम्स ऋषिकेश में चिकित्सकों को तैयार रहने के निर्देश दिए जाने की जानकारी भी दी।
सीएम धामी और मंत्री वीके सिंह ने लिया सुरंग के भीतर जायजा
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उत्तरकाशी पहुंचे। दोनों ही सुरंग के भीतर जायजा लेकर बाहर लौट आए हैं। वहीं पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि अभी रेस्क्यू ऑपरेशन में 12 से 14 घंटे का समय लग सकता है। जबकि दूसरी तरफ अन्य सूत्रों के हवाले से इससे पहले ही कभी भी अच्छी खबर मिल सकती है।
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह पहुंचे उत्तरकाशी
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह पहुंचे भी उत्तरकाशी पहुंच गए हैं। वह सुरंग के भीतर जाएंगे। 54 मीटर के बाद अगला पाइप लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द ही उसके लिए ऑगर मशीन चलाई जाएगी। यह आखिरी पाइप हो सकता है।
आर्नोल्ड डिक्स ने की रेस्क्यू ऑपरेशन की सराहना
इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन(आईटीए) के अध्यक्ष प्रो.आर्नोल्ड डिक्स ने सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की सराहना की है। उन्होंने कहा कि सुरंग से जुड़े हादसों में जब वह बचाव के लिए पहुंचते हैं तो ज्यादातर में अंदर फंसे लोगों की मौत हो चुकी होती है। जबकि यहां वह जिंदा है और उन्हें बहार निकालने के लिए रात-दिन प्रयास किए जा रहे हैं। आर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर एक साथ काम किया जा रहा है। प्रत्येक विकल्प में खतरे को भांप कर काम किया जा रहा है।
रुड़की से बुलाई गई विशेषज्ञों की टीम
रुड़की से विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई है जो टनल के अंदर होने वाली वाइब्रेशन पर अपनी रिपोर्ट देगी। इससे टनल के भीतर खतरे का आकलन किया जा सकेगा। – भास्कर खुल्बे, पीएमओ के पूर्व सलाहकार
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम सुरंग के भीतर पहुंची
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम सुरंग के भीतर पहुंच गई है। थोड़ी ही देर में खुशखबरी मिल सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भी जल्द टनल पर पहुंचने की सूचना है।
54 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी
ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे सरिया बाधा बन गई थी। कुछ देर बाद काम शुरू हुआ, लेकिन फिर पत्थर बीच में आ गया। दसवां और अंतिम पाइप डालने का काम जारी है। मिली जानकारी के मुताबिक दो से चार घंटे में ड्रिलिंग पूरी हो सकती है। अब तक 54 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है। 5 से 6 मीटर ड्रिलिंग ही बाकी है।
मजदूरों को एयरलिफ्ट करने के लिए चिनूक हेलिकॉप्टर की ली जाएगी मदद
कुछ ही देर में चिनूक हेलिकॉप्टर भी चिन्यालीसौड हवाई अड्डे पर लैंड करेगा। मजदूरों को एयरलिफ्ट करने की जरूरत पड़ने पर चिनूक हेलिकॉप्ट मदद के लिए तैयार रहेगा।
800 का फार्मूला सफल
पहले सुरंग में 900 मिमी पाइप को ऑगर मशीन के माध्यम से भेजा था, जो 22 मीटर जाने के बाद अटक गया था। इस पाइप में 800 मिमी का पाइप भेजने का फार्मूला काम आ गया। एक तो 22 मीटर तक 800 मिमी पाइप पर मलबे का दबाव नहीं था। दूसरे मलबे के 25 से 45 मीटर हिस्से में जहां दबाव था, उसे बुधवार शाम को पार कर लिया गया।
ऑगर मशीन फिर आगे बढ़ी
ऑगर मशीन के आगे कुछ सरिया आ जाने से काम रुका जिन्हें कटर से काटकर मशीन फिर आगे बढ़ गई। रेस्क्यू बचाव अभियान से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, रात ऑगर मशीन के सामने जो सरियों की बाधा आई थी उसे एनडीआरएफ की टीम की मदद से गुरुवार सुबह करीब 3 बजे हटा दिया गया था। जल्द मजदूरों के बाहर आने की संभावना है।
सुरंग में फंसे मजदूरों को बीत चुके 264 घंटे
सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को आज 264 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है। 12 नवम्बर की सुबह 5:30 बजे हादसा हुआ था। जब अचानक ऊपर से मलबा गिरने की वजह से 41 मजदूर टनल में फंस गए थे। उम्मीद है कि आज मजदूर बाहर निकल पाएंगे।
पीएमओ के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे बोले- जल्द मिलेगी अच्छी खबर
पीएमओ के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने बताया कि जल्द अच्छी खबर मिलेगी। दोपहर तीन बजे मलबा आने से कुछ देर अभियान बाधित जरूर हुआ लेकिन कुछ देर बात फिर शुरू हो गया। जो रात तक जारी रहा। वहीं, रात करीब दस बजे ड्रिल मशीन के सामने सरिया आने से काम फिर रुक गया था, जो सरिया काटने के बाद फिर शुरू हो गया था। विशेषज्ञों का कहना था कि पाइप को आरपार करने के बाद उसमें ऑगर मशीन की ड्रिल बर्मा हटाने में करीब तीन घंटे का समय लगता है। सुबह तक सफलता मिल ही जाएगी। वहीं, सचिव डॉ.नीरज खैरवाल ने बताया कि सफलता ज्यादा समय नहीं है। PUBLICFIRSTNEWS.COM
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