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अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है,दरअसल मंदिर को जिस तरह से बनाया गया है,उसे उच्चतम तीव्रता का भूकंप भी हिला नहीं सकेगा,मंदिर की मजबूती को लेकर CSIR और CBRI के वैज्ञानिकों ने साइंटिफिक स्टडी की है,इसमें पता चला है कि राम मंदिर ढाई हजार साल में एक बार आने वाले भूकंप को भी झेल सकता है,नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला के नव विग्रह की 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां पर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं,राम मंदिर के निर्माण के बाद से ही ये दावा किया जा रहा है कि ये बहुत मजबूत इमारत है,लेकिन अब विज्ञानिकों ने दावा किया है कि राम मंदिर ढाई हजार साल में एक बार आने वाले भूकंप को झेल लेगा,CSIR और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने अयोध्या में कई साइटंफिक स्टडी की है,जिसमें ये बात सामने आई है,CSIR और CBRI रूड़की ने अयोध्या की साइट पर जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन,भू-तकनीकी विश्लेषण, नींव डिजाइन पुनरीक्षण और 3D संरचनात्मक विश्लेषण और डिजाइन किया,CSIR-CBRI के सीनियर साइंटिस्ट देबदत्ता घोष ने कहा,कि अधिकतम भूकंप के लिए मंदिर की संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साइंटिफिक स्टडी की गई थी,इससे पता चला है कि ये मंदिर 2500 साल में एक बार आने वाले भूकंप का भी सामना कर सकता है,देबदत्ता घोष ने आगे कहा कि जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन की प्रक्रिया में सतह के वेव्ज का मल्टी चैनस एनालिसिस किया गया,इसके अलावा भी कई तकनीकों का इस्तेमाल किया है,इन स्टडी से भूकंप को लेकर मंदिर के डिजाइन पर कई अहम जानकारी मिली है,उन्होंने कहा, अयोध्या राम मंदिर की अधोसंरचना के निर्माण में बंसी पहाड़पुर बलुआ पत्थर का इस्तेमाल हुआ है,जिसे एक हजार साल के जीवनकाल के लिए डिजाइन किया गया है,सीएसआईआर-सीबीआरआई ने मिट्टी जांच योजनाओं,नींव डिजाइन मापदंडों,उत्खनन योजनाओं और नींव और संरचना की निगरानी के लिए सिफारिशों की भी जांच की,देबदत्ता घोष ने कहा,50 से अधिक कंप्यूटर मॉडलों का अनुकरण करने और इसके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन,वास्तुशिल्प अपील और सुरक्षा के लिए कई लोडिंग स्थितियों के तहत उनका विश्लेषण किया गया,इसी के बाद संरचनात्मक डिजाइन की सिफारिश की गई थी

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