चैत्र नवरात्र के दौरान माता रानी के नौ रूपों की पूजा-अर्चना अलग-अलग दिन करने का विधान है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। चैत्र नवरात्र का छठा दिन आज यानी 14 अप्रैल को है। इस दिन मां कात्यायनी की विशेष पूजा की जाएगी। मां कात्यायनी को गौरी, काली, उमा, ईश्वरी, हेमावती के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कात्यायनी की उपासना करने से इंसान की मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मां कात्यायनी की कृपा सदैव बनी रहती है। अगर आप भी मां कात्यायनी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पूजा के समय निम्न आरती और स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। मान्यता है कि ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

मां कात्यायनी स्तोत्र

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते।।
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता।।
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा।।
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी।।

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