Essential Services Maintenance Act : उत्तरप्रदेश में अगले छह माह तक हड़ताल पर योगी सरकार ने रोक लगा दी गई है। उत्तर प्रदेश में अगले छह माह तक एसेंशियल सर्विसेज मेंटनेंस ऐक्ट लागू रहेगा। जिसका उल्लंघन करने पर सरकार कार्रवाई करेगी।

हड़ताल पर रोक लगाने के लिए योगी सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मेंटनेंस ऐक्ट (एस्मा) का इस्तेमाल किया है। कानून सरकारी, अर्द्ध सरकारी विभागों, निगमों और प्राधिकरणों पर लागू होगा।

प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक एम देवराज ने शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। पावर कॉरपोरेशन दो बिजली कंपनियों पूर्वांचल और दक्षिणांचल को PPP मॉडल पर चलाने की तैयारी कर रहा है। बिजली विभाग के कर्मचारी और दूसरे विभागों के कर्मचारी लगातार इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। एस्मा लागू होने के बाद कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध और दंडनीय माना जाता है। पहले भी योगी सरकार हड़ताल को प्रतिबंधित करने के लिए एस्मा लागू कर चुकी है। फरवरी, 2024 में एस्मा लागू करने की घोषणा की गई थी। तब किसान आंदोलन चल रहा था।

सरकारी विभागों को भेजा गया निर्देश |

प्रदेश में चल रहे आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में एस्मा ( ESMA) लागू कर दिया है. बता दें कि 2 दिसंबर से नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मांगें पूरी नहीं होने पर किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया हुआ है. इसके मद्देनजर पूरे जिले में धारा 163 लागू की गई है। प्रदेश सरकार ने एस्मा लागू कर दिया गया है। ऐसे में सरकारी कर्मचारी व सरकारी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी अगले छह महीनों तक हड़ताल नहीं कर सकेंगे। इस फैसले को बिजली कर्मचारियों के आंदोलन से जोड़कर देखा जा रहा है।

दरअसल, निजीकरण के खिलाफ यूपी के अंदर बिजली कर्मचारी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि वे हड़ताल का ऐलान कर सकते हैं। मार्च 2023 में यूपी के अंदर बिजली कर्मचारियों ने 65 घंटे की हड़ताल की थी। इसकी वजह से लाखों लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी थी। यहां तक की कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था। जिसके बाद हड़ताल समाप्त हुई थी। ऐसे में एक बार फिर से यह स्थिति न बने इसकी वजह से एस्मा लगाने का फैसला किया गया।

हड़ताल रोकने के लिए नियम और कारण।

एस्मा भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। संकट की घड़ी में कर्मचारियों के हड़ताल को रोकने के लिए यह कानून बनाया गया था। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है। किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है। इस कानून के लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो उनका य​ह कदम अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है। एस्मा कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।

publicfirstnews.com

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