यूपी विधानसभा के स्पीकर सतीश महाना ने हंगामे की असली वजह बताई उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में यह होता रहता है। सबके मुद्दे एक हैं, जनता का हित। अगली बार जब सत्र में बैठेंगे, प्रदेश की प्रगति और उत्थान के बारे में चर्चा करेंगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। गुरुवार को अनुपूरक बजट पर चर्चा होनी थी ,इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में चर्चा-परिचर्चा में जनता के मुद्दे उठाए जाने चाहिए, मेरा प्रयास रहता है कि सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चले। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जनता के हितों के लिए काम करे। विपक्ष के पास सकारात्मक सुझाव और कमियां हो तो वह इंगित करे।
उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर ही सदन चलाते हैं। मेरा प्रयास था कि आज सारे प्रश्न और नोट्स ले लूं , इसका मैंने बहुत प्रयास किया। नेता प्रतिपक्ष से भी निवेदन किया कि जो नोटिस आपने दी, उसे सुनने का प्रयास करूंगा शायद, उन्हें मेरी बात पसंद नहीं आई होगी। इसी कारण विपक्षी विधायक बार-बार कहने पर भी अपनी सीटों पर नहीं गए। मेरे चाहने के बावजूद भी विधानसभा की कार्यवाही नहीं चल सकी। पूर्व निर्धारित कार्यसूची के अनुसार गुरुवार को महाकुंभ और अनुपूरक बजट पर चर्चा होनी थी। भाजपा के सदस्य सिद्वार्थ नाथ सिंह ने चर्चा शुरू की लेकिन, सदस्यों के शोरशराबे के चलते चर्चा में कुछ भी स्पष्ट नहीं सुना गया इनके बाद किसी अन्य सदस्य ने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।
मुख्यमंत्री और नेता सदन योगी आदित्यनाथ को महाकुंभ और अनुपूरक अनुदानों पर अपना पक्ष रखना था। सपा सदस्यों के शोरशराबे और हंगामे के बीच ही नियम-56 की सारी सूचनाओं को अस्वीकार कर दिया गया। इनमें से कई सूचनाओे पर चर्चा होनी थी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के सदस्य हाथों मे भीमराव आंबेडकर की फोटो लेकर वेल में पहुंच गए और नारे लगाने लगे जिससे शोरशराबे और हंगामे के कारण प्रश्न काल नहीं हो सका। सपा सदस्यों के शोरशराबे और हंगामे के कारण सारे विधायी कार्यों को संपन्न कराने के साथ ही कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
इन मुद्दों पर विधानसभा अध्यक्ष पक्ष और विपक्ष के विधायकों के साथ शुरू करेंगे चर्चा का कार्यक्रम।
- मानदंड मानक और दिशा निर्देश सर्वोत्तम प्रथाओं को अपना कर संसदीय संस्थाओं को सुदृढ़ बनाना |
- वोट बनाम लाइक सत्य समाचारों और कृत्रिम मीडिया के युग में लोकतांत्रिक लचीलापन सुदृढ़ करने में संसद की भूमिका |
- भेदभावपूर्ण कानून का मुकाबला, लिंग आधारित हिंसा के विरुद्ध 365 दिनों की सक्रियता |
- संसदीय प्रक्रियाओं और प्रथाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग अवसर और चुनौतियां |
PUBLICFIRSTNEWS.COM