उद्घाटन में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. मोहन यादव एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री आशीष चौहान उपस्थित रहे ।

भोपाल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्य भारत प्रांत का अधिवेशन 19 से 21 दिसंबर को गुना में संपन्न हुआ। उद्घाटन समारोह में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस दौरान सत्र 2024-25 के अध्यक्ष डॉ.धर्मेंद्र राजपूत एवं प्रांत मंत्री केतन चतुर्वेदी जी निर्वाचित हुए। इस अधिवेशन में 18 जिलों के 1015 प्रतिनिधियों ने सहभागिता की । राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री आशीष चौहान जी का भाषण अभाविप की विशिष्ट कार्यपद्धति पर रहा जिसमें उन्होंने कहा विद्यार्थी परिषद समय के साथ साथ निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है,70 के दशक से विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने SEIL टूर के माध्यम से उत्तर पुर्वी छात्रों एवं जनमानस को भारतीय परंपरा एवं संस्कृति से जोड़ने का काम किया। उन्होंने कहा कि भारत देश में जो वामपंथ के अंश रह गए हुए हैं उनको भी जड़ से उखाड़ने का काम अभाविप मध्य भारत प्रांत के कार्यकर्ता करेंगे। अभाविप की राष्ट्रीय कार्य समिति की विशेष आमंत्रित सदस्य डॉ निधि बहुगुणा का भाषण विमर्श निर्माण में परिसर की भूमिका पर रहा। जिसमें उन्होंने कहा कि आज देश में कई देश विरोधी ताकत है उन्हें परिसरों के अंदर वामपंथ एवं नक्सलाइट विचारधारा को स्थापित करने का प्रयास कर रहे है ,साथ ही सामाजिक एवं धार्मिक परम्पराओं पर आहत करने का प्रयास कर रहे है परंतु अभाविप जैसे राष्ट्रवादी संगठन के परिसर में होते हुए यह संभव नहीं है कि कोई वामपंथ विचारधारा स्थापित हो सके।

अभाविप के अधिवेशन में 3 प्रताव भी पारित किए गए

  1. शिक्षकों की कमी से जूझ रहे प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान,
  2. 2. जीवंत परिसर से बने सरथाओ विद्यार्थी जीवन,
  3. 3. वर्तमान परिदृश्य ,
    यह विषय रहे। शैक्षणिक संस्थानों की गिरती गुणवत्ता, स्वावलंबन से विकसित भारत, साइबर क्राइम एवं बचाव के उपाय, एक देश एक चुनाव एवं शहरी नक्सलवाद जैसे विषयों पर भी सत्र रहे । अधिवेशन में शोभायात्रा भी रही जिसमें गुना के नगर वासियों ने अभाविप के प्रतिनिधियों पर पुष्प वर्षा कर उनका भव्य स्वागत किया।इसके पश्चात खुला मंच रहा जिसमें छात्र नेताओं के भाषण रहें।जिसमें मुख्य रूप से राष्ट्रीय मंत्री कुमारी शालिनी वर्मा एवं प्रांत मंत्री केतन चतुर्वेदी जी का भाषण रहा। शोभा यात्रा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम रहा जिसमें हृदय बैंड ग्रुप के माध्यम से अयोध्या के राम मंदिर की जीवन गाथा प्रतिनिधियों के समक्ष रखी गई। समारोह सत्र में अभाविप के प्रांत संगठन मंत्री श्री रोहित दुबे जी का भाषण रहा एवं सत्र 2024-25 की नवीन कार्यकारिणी की घोषणा की गई।

विचारार्थ प्रस्ताव क्रमांक – 1

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे शैक्षणिक संस्थान

नवाचारों, बदलावों एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से मध्य प्रदेश की शालेय एवं उच्च शिक्षा नित नए आयामों की ओर आगे बढ़ रही है। शिक्षा को युगानुकूल बनाने की यह पहल सराहनीय तो है ही परंतु अधोसरंचना एवं मानवसंसाधन के अभाव में इसका शत् प्रतिशत क्रियान्वयन यह दिवा स्वप्न जैसा प्रतीत होता है। प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है वहीं विद्यार्थी समुदाय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा है। विद्यार्थियों के बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक क्षमताओं के विकास हेतु केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर प्रारंभ हुए सी. एम. राइन विद्यालय अधोसंरचना एवं शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।

प्रदेश की शालेय शिक्षा की बात की जाए तो वर्तमान में 1275 विद्यालय ऐसे हैं जिन में एक भी शिक्षक नहीं है जबकि 22000 विद्यालय एकल शिक्षकों के भरोसे अध्यापन को मजबूर है। अकेले शिवपुरी जिले में 420 विद्यालय एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह भी है कि शिक्षकों की कमी के चलते 3500 विद्यालय ऐसे भी हैं जहां एक भी विद्यार्थी नामांकित नहीं है। प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों के करीब 70000 पद रिक्त हैं जिसका सीधा असर प्रदेश की शालेय शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है।

वहीं उच्च शिक्षा की बात की जाए तो प्रदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की चाह तो बढ़ती हुई दिखाई दे रही है परंतु संस्थानों की गुणवत्ता के अभाव में एक बड़ा विद्यार्थी समुदाय अन्य प्रदेशों की ओर उच्च शिक्षा हेतु आकर्षित हो रहा है। इस बीच हाल ही में शासन द्वारा प्रदेश के 54 जिलों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जिले के अग्रणी महाविद्यालय को पी. एम. श्री उत्कृष्ट महाविद्यालय में उन्नत करने का निर्णय एवं उन महाविद्यालयों के विकास हेतु अनुदान तथा शिक्षकों की पूर्ति करने के निर्णय का अभाविप का 57 वाँ प्रान्त अधिवेशन स्वागत करता है, साथ ही अपेक्षा भी व्यक्त करता है कि तकनीकी एवं नवाचारों के युग में ऐसे संस्थान युगानुकूल एवं गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने में सार्थक सिद्ध होंगे। इसी क्रम में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तीन नए राज्य विश्वविद्यालय प्रारम्भ करने का निर्णय भी स्वागत योग्य है।

वहीं प्रदेश के उच्च शिक्षा की ओर दीर्घ दृष्टि करते हुए यह ध्यान में आता है कि प्रदेश के अधिकतम शासकीय महाविद्यालय में नियमित प्राचार्यों की कमी हैं। कई विषय तो केवल अतिथि व्याख्याताओं के भरोसे ही चलायमान है। प्रदेश में उच्च शिक्षा के अंदर प्राध्यापकों की संख्या में निरंतर कमी आती जा रही है। वर्तमान में सहायक प्राध्यापक के 3715 पद एवं प्राध्यापक के 457 पद रिक्त पड़े हैं। वही नियमित ग्रंथपाल के 264 पद एवं क्रीड़ा अधिकारी के 267 पद रिक्त हैं।

ठीक वैसे ही स्थिति प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों की है। राजधानी के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय 37 नियमित प्राध्यापक जीवाजी विश्वविद्यालय 27 नियमित प्राध्यापक एवं रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय केवल 19 नियमित प्राध्यापकों के भरोसे चल रहे हैं। इन विश्वविद्यालयों के कई विभाग तो ऐसे हैं जिसमें एक भी नियमित प्राध्यापक नहीं है। तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिक्त पड़े पदों के कारण लिपिकीय जैसे कार्य भी शिक्षकों के माध्यम से ही कराए जा रहे हैं। स्थिति यहां तक बनी हुई है कि इन विश्वविद्यालयों के संचालन हेतु आवश्यक ऐसे प्रमुख गैर शैक्षिक कर्मचारियों के पद भी रिक्त पड़े हैं। व्यथा तो यह है कि प्रदेश के एक भी विश्वविद्यालय में नियमित कुलसचिव नहीं है वहीं नियमित वित्त अधिकारी और परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्वपूर्ण पद भी प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरे जा रहे हैं, जिससे विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था भी मंद पड़ी हुई है।

ऐसे में 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में उच्च शिक्षा का योगदान यह अधूरा सा दिख रहा है। अभाविप का 57 वाँ प्रांत अधिवेशन प्रदेश के शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त करता है और राज्य शासन से यह मांग भी करता है कि शालेय शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के सभी रिक्त पड़े शिक्षकों के पद यथाशीघ्र भरे जाएं और प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए।

विचारार्थ प्रस्ताव क्रमांक – 2

जीवंत परिसर से बने सार्थक विद्यार्थी जीवन

भारत में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। आदिकाल से गुरु शिष्य परंपरा हमारे यहां विद्यमान है जीवन निर्माण के लिए सर्वोत्तम समय होता है विद्यार्थी जीवन, जो कि स्वर्ण काल कहलाता है। किसी भी विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए शैक्षणिक परिसर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा संस्थानों से ही विद्यार्थी का वास्तविक जीवन कौशल और चरित्र निर्माण होता है।

कोविड महामारी के बाद से छात्रों का शैक्षिक परिसरों में आने का रुझान कम होना चिंतनीय है। शैक्षणिक परिसरों में युवा उत्सव, बार्षिक उत्सव, खेलकूद जैसी रचनात्मक गतिविधियां भी अब केवल खाना पूर्ति या औपचारिकता मात्र रह गई है। परिसरों की आधारभूत संरचना बर्जर, उत्कर्ष शैक्षणिक बातावरण का अभाव एवं अध्यापन की पद्धति नीरस होना, लंबे समय से छात्र संघ चुनाव ना होना छात्रों को संस्थानों में अपेक्षित सहभाग से वंचित कर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा परिसरों को जीवंत बनाने एवं विद्यार्थियों की परिसरों में उपस्थिति सुनिश्चित करने पर भी कोई गंभीर प्रयास न करना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। अभाविप का 57वाँ प्रांत अधिवेशन यह मांग करता है कि शैक्षिक परिसरों में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाने हेतु एवं परिसर को जीवंत बनाने हेतु ठोस कदम उठाए जाए।

हमारी शिक्षा व्यवस्था में छात्र समुदाय को आनंद की अनुभूति और जीवन को सार्थकता तक ले जाने योग्य बनाने की आवश्यकता आज महसूस हो रही है। परिसरों में शिक्षा को सस्ती, सुलभ, कौशल युक्त एवं रोजगार परक बनाने की आवश्यकता है। शैक्षिक परिसरों को आकर्षित बनाने के लिए छात्र संसद, कैंटीन, रोजगार सृजन केंद्र, छात्र कल्याण केंद्र जैसी व्यवस्थाओं को उपलब्ध कराने के साथ खेल, अध्यात्म एवं योग को भी विद्यार्थियों के दैनिक जीवन का हिस्सा बनना चाहिए। परिसरों में छात्रों की सहभागिता बढ़ाने के लिए शोध, समूह चर्चा, इंटर्नशिप, शिक्षक-अभिभावक संवाद, रचनात्मक कार्यक्रम के साथ समय प्रबंधन, तनाव प्रबंधन, नैतिक मूल्यों जैसे अन्य विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, साथ ही अध्ययन के साथ-साथ स्वरोजगार के साधन तैयार करते हुए विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रयास करना चाहिए। कला, खेल, सेवा, जल, वायु जैसी गतिविधियों एवं नवाचार के माध्यम से परिसरों को जीवंत बनाया जा सकता है।

अभाविप का सुविचारित मत है कि रचनात्मक एवं इन विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों का जीवन आनंदमयी एवं सार्थकता की ओर ले जाया जा सकता है परिसर विद्यार्थी विकास के साथ सामाजिक परिवर्तन का केंद्र बने इस हेतु अभाविप का यह 57वाँ प्रांत अधिवेशन राज्य सरकार, शिक्षाविद्, शिक्षक, अभिभावक, समाज, विशेषकर विद्यार्थी समुदाय एवं शिक्षा के सभी हितधारकों से सकारात्मक पहल करने का आह्वान करता है।

विचारार्थ प्रस्ताव क्रमांक – 2

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2025 को उ‌द्योग वर्ष के रूप में मनाना एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा औ‌द्योगिक परिदृश्य को प्राथमिकता देते हुए तेजी से निजी निवेश को बढ़ावा देना सराहनीय है, प्रदेश मैं उ‌द्योगों के लिए ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट, बिजली, भूमि उपलब्धता, CAPEX सब्सिडी और SGST प्रतिपूर्ति पर छूट प्रदान करने से निवेश के प्रोत्साहन का वातावरण भी निर्मित हुआ है अभाविप का 57वां प्रांत अधिवेशन इस दिशा में ठोस क्रियान्वन एवं राज्य विश्वविद्यालयौ, महावि‌द्यालयौ से निकले युवाओं को सीधे रोजगार एवं निवेश से जोड़ने के प्रयास करने के साथ साथ प्रदेश के स्वरोजगार उद्यमिता के लिए अवसर प्रदान करने की मांग भी करता है। उ‌द्यमिता के लिए युवाओं की विशेष प्रोत्साहन देते हुए प्रदेश सरकार ने पुश्तैनी व्यवसाय की और भी पुनः ध्यान आकर्षित करने हेतु कोई ठोस प्रयास करने चाहिए। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने स्वदेशी एवं लौकल व्यापार को बढ़ाने का आग्रह प्राथमिकता पर रखा है, अभाविप का 57वां प्रांत अधिवेशन इसकी प्रशंसा करते हुए यह भी आग्रह करता है कि प्रदेश में स्वदेशी को मूल मंत्र बनाने हेतु सरकार को प्रयास कर प्रदेश को स्वदेशी मॉडल बनाने पर भी चर्चा करना चाहिए साथ ही स्वदेशी वस्तुओं के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग के लिए सरकार को इन उ‌द्योगों को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इन स्वदेशी वस्तुओं को खरीदें। सरकार को इन वस्तुओं के प्रसार-प्रचार का कार्य शासन स्तर से करना चाहिए, ताकि लोगो तक इनकी पहुंच बढ़े।

डिजिटल अरेस्ट एवं ऑनलाइन धोखाधड़ी की नित्य दिन नवीन एवं गंभीर घटनाएं सामने आ रही है जिसमें लोग मिनटों में अपनी जीवन की जमा पूंजी गंवा देने को मजबूर है। घर बैठे लोग इसका बड़ी संख्या में शिकार बनते जा रहे हैं इन घटनाओं से समाज के बरिष्ठजन एवं महिलाएं भी बढ़ी संख्या में लगातारं शिकार हो रहे हैं, अभाविप प्रदेश सरकार से डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर तत्परता से कार्यवाही करने एवं शासन स्तर से नीचे तक जनजागरण करने की मांग करता है।

हाल ही में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एवं गुजरात एटीएस द्वारा 1814 करोड़ रूपये की एम डी ड्रग्स की छापेमार कार्यवाही करना सराहनीय है किंतु आज सरलता से नशे की पहुंच ने बड़ी संख्या में युवाओं को नशे का आदी बना दिया है। जिस कारण अपराधिक गतिविधियां भी निरन्तर बढ़ती जा रही है। प्रतिबंधित नशीले पदार्थों की बिक्री बिना किसी बड़े संरक्षण के संभव नहीं है, शैक्षणिक संस्थानों से लेकर गली मोहल्ले तक बिकते इन नशीले पदार्थों के पीछे एक पूरा संगठित नेटवर्क काम कर रहा है। अभाविप का मानना है कि संघता से ऐसे नशीले पदार्थ के केंद्रों पर छापेमारी करते हुए कानूनी रूप से ठोस कार्यवाही की जाए ।

सरकार द्वारा भोपाल के विद्यालयों में बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं के बाद स्कूलों से अपराधिक प्रवृत्ति के स्टाफ को चिन्हित कर कार्यवाही करने का आदेश स्वागत योग्य है, किंतु विगत 6 माह में प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों में छात्राओं से दुष्कर्म की 11 गंभीर घटनाएं दर्ज है। शैक्षणिक परिसर में अध्ययन करने वाली बच्चियों के साथ ऐसे कुकृत्य होने से छात्राओं एवं उनके अभिवावर्को के अंदर असुरक्षा का का भाव दिखाई देता है।

प्रस्ताव क्रमांक -3

महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा यह किसी भी प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अभाविप का 57 वाँ प्रांत अधिवेश प्रदेश सरकार से मांग करता है कि प्रदेश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु न्याय संहिता में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून सम्मिलित करते हुए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में महिला सुरक्षा केंद्र की स्थापना की की जाएं साथ ही बलात्कार से पीड़ित बच्चियों एवं महिलाओं को न्याय दिलानें दिशा में योजनाबद्ध रूप से ठोस कदम उठाए जाएं।

साथ ही शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल हेतु परिसरों में निःशुल्क परामर्श केंद्र एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ की प्रतिनियुक्ति भी करना चाहिए। महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदेशभर के सार्वजनिक प्रसाधन, पिंक टॉयलेट्स सुव्यवस्थित एवं अधिक स्थानों पर बनाने की कोई योजना भी सुनिश्चित करना चाहिए।

प्रदेश की महिलाओं के लिए युगानुकुल प्रौ‌द्योगिकी कौशल विकास एवं स्वरोजगार को बढ़ाने की दिशा में सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं को योजना बनाकर इसके क्रियान्वयन की व्यापक रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।

मध्यप्रदेश को टूरिज्म हब के रूप में स्थापित करने के लिये मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के प्रयास सराहनीय है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ATOAI) के राष्ट्रीय सम्मेलन में म.प्र. टूरिज्म बोर्ड को सर्वश्रेष्ठ साहसिक पर्यटन राज्य (बेस्ट एडवेंचर टूरिज्म स्टेट) के रूप में सम्मानित किया जाना प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण है। टाइगर स्टेट के रूप में विकसित होते मध्यप्रदेश में अब पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है अभाविप का 57 वां प्रांत अधिवेशन का मानना है कि पर्यटन क्षेत्र अपनी अपार संभावनाओं के कारण रोजगार सृजन के नए विकल्प उपलब्ध करा सकता है जो कि रोजगार समस्या के समाधान में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

publicfirstnews.com

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