पब्लिक फर्स्ट । भोपाल । राजेश सक्सेना

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 16वें वित्त आयोग को सुझाव दिया है कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी को वर्तमान 41% से बढ़ाकर 48% किया जाए। उनका मानना है कि इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, जिससे राष्ट्र का समग्र सशक्तिकरण संभव होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, “राज्यों के सशक्तिकरण में ही राष्ट्र का सशक्तिकरण है। केंद्रीय करों और राजस्व प्राप्तियों में राज्यों की हिस्सेदारी अर्थात् अनुदान बढ़ाया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य अपनी क्षमता और सीमित संसाधनों से ही अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए काम करते हैं। केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय अनुदान मिलने से राज्य अपने दीर्घकालीन लक्ष्यों को अल्पकाल में ही प्राप्त कर सकेंगे।

डॉ. यादव ने जोर देकर कहा कि विकसित भारत का निर्माण विकसित मध्यप्रदेश के बिना नहीं हो सकता, इसलिए केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 41% से बढ़ाकर 48% तक की जाए। उन्होंने कहा कि इससे राज्य सशक्त होंगे और राष्ट्र को विकास की ओर ले जाने में सहायक होंगे।

मुख्यमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि मध्यप्रदेश एक बड़ा राज्य है, इसलिए इसकी जरूरतें भी बड़ी हैं। लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना ही केंद्र और राज्य सरकारों का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक प्रगतिशील राज्य है, जो कृषि, अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पर्यटन, नगरीय विकास और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों में और अधिक विकास के लिए केंद्र सरकार से और अधिक वित्तीय सहयोग/अनुदान की आवश्यकता है।

यह मांग ऐसे समय में आई है जब ओडिशा सहित अन्य राज्य भी केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में, राज्यों को विभाज्य कर पूल का 41% हिस्सा मिलता है, जिसे बढ़ाकर 50% करने की मांग की जा रही है। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस प्रस्ताव का उद्देश्य राज्यों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना और राष्ट्रीय विकास में उनकी भूमिका को और प्रभावी बनाना है।

publicfirstnews.com

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