पब्लिक फर्स्ट । नई दिल्ली । ब्यूरो रिपोर्ट ।

वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 में निम्नलिखित मुख्य संशोधन प्रस्तावित हैं:

1. वक़्फ़ संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण:

प्रत्येक वक़्फ़ और संबंधित संपत्ति को छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा।

2. पंजीकरण समय-सीमा में लचीलापन:

वक़्फ़ अधिकरण कुछ मामलों में छह महीने की समय-सीमा बढ़ा सकता है, यदि मुतवल्ली पंजीकरण में विलंब के लिए पर्याप्त कारण प्रस्तुत करे।


3. गैर-पंजीकृत वक़्फ़ की कानूनी कार्यवाही:

यदि छह महीने के भीतर पंजीकरण नहीं होता, तो वक़्फ़ संपत्ति से संबंधित कानूनी कार्यवाही का अधिकार समाप्त हो सकता है। हालांकि, न्यायालय उचित कारणों के आधार पर मुकदमा दायर करने की अनुमति दे सकता है।


4. वक़्फ़ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति:

राज्य वक़्फ़ बोर्ड और केंद्रीय वक़्फ़ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति अनिवार्य होगी।


5. महिला प्रतिनिधित्व का प्रावधान:

वक़्फ़ अधिनियम की धारा 9 और 14 में संशोधन कर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।


6. संपत्ति विवादों में जिला कलेक्टर की भूमिका:

वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़े विवादों का समाधान अब जिला कलेक्टर करेंगे, जो पहले वक़्फ़ न्यायाधिकरण के पास था।


7. सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा:

सरकारी संपत्तियों को वक़्फ़ घोषित करने से रोकने के लिए नई धारा 3सी जोड़ी गई है, जिसमें कलेक्टर को स्वामित्व विवादों का निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है।

8. मुतवल्ली के लिए दंड का प्रावधान:

मुतवल्ली द्वारा कर्तव्यों का पालन न करने पर जुर्माना बढ़ाकर 20,000 से 50,000 रुपये तक किया गया है।


9. वक़्फ़ संपत्तियों का डिजिटलीकरण:

संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन हेतु डिजिटलीकरण किया जाएगा।


10. अवैध कब्जों की रोकथाम:

अवैध रूप से कब्जाई गई वक़्फ़ संपत्तियों को वापस लेने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान जोड़े जाएंगे।

इन संशोधनों का उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, दक्षता और समावेशिता बढ़ाना है।

– वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पर मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दलों को ये परेशानी है

1. विधेयक मौलिक अधिकारों के खिलाफ:

कांग्रेस का आरोप है कि यह विधेयक संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है।


2. वक़्फ़ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर आपत्ति:

विपक्षी दलों का कहना है कि यदि मंदिर बोर्ड में गैर-हिंदू सदस्य नहीं हो सकते, तो वक़्फ़ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति क्यों की जा रही है।


3. संघीय ढांचे पर हमला:

विपक्ष का मानना है कि यह विधेयक संघीय ढांचे के खिलाफ है और राज्यों के अधिकारों का हनन करता है।


4. विधेयक का उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा नहीं:

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि यह विधेयक वक़्फ़ संपत्तियों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि कब्रिस्तानों, खानकाहों और दरगाहों को छीनने के लिए लाया गया है।

5. विपक्ष की आवाज़ को दबाना:

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी का आरोप है कि सरकार विपक्ष की बात नहीं सुनती और वक़्फ़ की जमीनों को लेकर सख्त रवैया अपनाकर उन्हें उद्योगपति मित्रों को सौंपना चाहती है।

pubicfirstnews.com

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