देश में अब कांग्रेस नेता ये बयान देने लगे हैं कि राहुल गांधी अगर प्रधानमंत्री होते तो वे POK वापस ले लेते – ऐसे में आज हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ – कांग्रेस सरकारों का रुख़ क्या रहता था ? और वे पाकिस्तान या आतंकवाद के खिलाफ कैसी कार्रवाई करती थी ?
कांग्रेस ( यूपीए ) के 10 साल के शासन (2004-2014) में देश में कुल 53 इस्लामिक आतंकी हमले हुए ।
प्रमुख हमले (2004-2014, यूपीए सरकार):
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- 2006 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट: 209 लोग मारे गए
- 2008 जयपुर ब्लास्ट: 63 लोग मारे गए।
- 2008 अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट: 56 लोग मारे गए।
- 2008 दिल्ली सीरियल ब्लास्ट: 30 लोग मारे गए।
- 26/11 मुंबई आतंकी हमला (2008): 166 लोग मारे गए, 300+ घायल।
- 2013 हैदराबाद धमाके: 17 लोग मारे गए।
इनके अलावा कश्मीर, वाराणसी, पुणे, पुण्यकोटा, और अन्य शहरों में भी कई हमले हुए जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गई।
कुल मृतकों की संख्या
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2004-2014 के बीच इस्लामिक आतंकवादी हमलों में हजारों लोग मारे गए। सिर्फ ऊपर दिए गए बड़े हमलों में ही लगभग 550+ नागरिकों की मौत हुई। अन्य छोटे हमलों और कश्मीर में रोज़मर्रा की हिंसा को जोड़ें तो यह संख्या और अधिक है।
पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई
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• यूपीए सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदमों की बजाय, कूटनीतिक विरोध, डोजियर सौंपना, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा उठाने जैसे कदम उठाए।
• 26/11 के बाद पाकिस्तान को सबूत दिए गए, लेकिन कोई सैन्य कार्रवाई नहीं हुई।
• एयर स्ट्राइक या सर्जिकल स्ट्राइक जैसी सैन्य कार्रवाई कांग्रेस शासन में नहीं हुई।
• आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई जारी रही, लेकिन पाकिस्तान पर दबाव सीमित रहा।
• कांग्रेस सरकार ने आतंकी हमलों के बाद आमतौर पर कूटनीतिक विरोध, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की निंदा, और आंतरिक सुरक्षा सख्त करने जैसे कदम उठाए।
• सीमापार सैन्य कार्रवाई या “सर्जिकल स्ट्राइक” जैसी खुली सैन्य कार्रवाई कांग्रेस शासन में नहीं हुई; ये पहली बार 2016 में (भाजपा सरकार के दौरान) हुई।
• कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान से वार्ता रोकने, सबूत सौंपने, और आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन (जैसे ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो - मुंबई 2008) चलाने जैसे कदम जरूर उठाए, लेकिन सीधी सैन्य जवाबी कार्रवाई का रिकॉर्ड नहीं है।
निष्कर्ष:
कांग्रेस शासन में कई बड़े इस्लामिक आतंकी हमले हुए, जिनमें सैकड़ों-हजारों निर्दोष नागरिक मारे गए। जवाब में कांग्रेस सरकार ने सुरक्षा सख्त की, कूटनीतिक दबाव बनाया, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ सीधी सैन्य कार्रवाई नहीं की।
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