“बकरे को हलाल करने से पहले उसे खिलाया जाता है…

और ट्रंप ने बिल्कुल वही किया है—पाकिस्तानी फौज के सरगना फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को वाइट हाउस में लंच पर बुलाया गया लेकिन असली डिश क्या थी? खाना… या पाकिस्तान की बर्बादी की पटकथा?”

ट्रंप का लंच नहीं, फांसी से पहले की खीर!

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। इज़राइल ने ईरान पर हमला किया है। और अब अमेरिका ईरान के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा है।

लेकिन सवाल ये है कि जंग किस जमीन से होगी? जवाब है – पाकिस्तान। अमेरिका पाकिस्तान की ज़मीन को ईरान के खिलाफ बेस के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है। और मुनीर को लंच पर बुलाकर ट्रंप ने वही प्रस्ताव थाली में परोस दिया—बेस दो, डॉलर लो।

अमेरिका की ‘यूज़ एंड थ्रो’ नीति का ताज़ा शिकार

ट्रंप और अमेरिका की नीति किसी से छुपी नहीं है अफगानिस्तान हो या इराक… अमेरिका अपने हर मोहरे को खिलाकर मारता है।

अब नंबर है पाकिस्तान का।

ट्रंप चाहते हैं कि मुनीर ईरान के खिलाफ लॉजिस्टिक सपोर्ट, एयरबेस, इंटेलिजेंस नेटवर्क और यहां तक कि नुकलीयर ब्लैकमेलिंग में भी मदद करें।

मुनीर के गले में फंसा फंदा

लेकिन मुनीर अगर अमेरिका को ईरान के खिलाफ पाक ज़मीन इस्तेमाल करने देंगे, तो पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी इस्लामिस्ट, तालिबानी सोच के अफसर, और ISI के भीतर छिपे ईरान समर्थक मुनीर को जीने नहीं देंगे।पाकिस्तान के मदरसों में पली जेहादी सोच, मुनीर को ‘ईरान-विरोधी यहूदी एजेंट’ करार दे देगी।

यानी… इधर कुआं है, उधर खाई। और सच ये है—मुनीर का राजनीतिक या शारीरिक अंत तय है।

चीन और रूस की चालों में फंसा पाकिस्तान

उधर, चीन चाहता है कि पाकिस्तान ईरान को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी दे, ताकि अमेरिका और इज़राइल पर हमला कराया जा सके। रूस को भी यही फायदा है—अमेरिका एक और मोर्चे में फंसे। लेकिन अमेरिका ये खेल समझ चुका है—इसलिए मुनीर को लंच नहीं, वॉर्निंग सर्व की गई है।

भारत के लिए क्या संदेश है इस लंच में?

भारत के विपक्षी कहेंगे कि मोदी सरकार की विदेश नीति कमजोर हो रही है, लेकिन सच ये है—भारत अब अमेरिका, रूस, और इस्लामिक वर्ल्ड—तीनों के दिमाग में बैठ चुका है। भारत आज उनके एजेंडे का हिस्सा नहीं, चिंता का कारण बन चुका है।और यही है मोदी सरकार की असली रणनीतिक सफलता।

“मुनीर को लंच पर बुलाया गया है… लेकिन थाली में उनका ही भविष्य परोसा गया है।

अमेरिका के लिये वो अब एक डिस्पोज़ेबल मोहरा है, और कट्टर इस्लामी पाकिस्तान के लिए एक गद्दार।जो भी दिशा मुनीर चुनेंगे, अंत सिर्फ एक है—हलाल! और भारत को चाहिए कि ऐसे भूखे भेड़ियों से घिरे इस इलाके मेंस्वयं को और भी आत्मनिर्भर, और भी आक्रामक बनाए। क्योंकि आने वाले युद्ध केवल ज़मीन पर नहीं, नीति और कूटनीति में होंगे। और जो सोचकर नहीं चलेगा, उसे परोसा जाएगा!”

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