पब्लिक फर्स्ट। नई दिल्ली। वन्दना मौर्या

गुरुग्राम में पिछले 24 घंटे में 133 मिमी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं, जिससे शहर का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह मानसून सीजन की सबसे अधिक वर्षा रही, जिसने नगर निगम और जीएमडीए की तैयारियों की पोल खोल दी।

सड़कों पर पानी की ऊंचाई इस हद तक बढ़ गई कि गाड़ियां तैरने लगीं और लोगों के घुटने तक पानी भर गया। गुरुग्राम जिला प्रशासन ने वर्क फॉर्म होम की सलाह दी है और सभी कॉर्पोरेट ऑफिस व प्राइवेट संस्थानों से कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है।

सड़कें धंसी, पलटा ट्रक

सदर्न पेरीफेरल रोड पर भारी वर्षा के कारण सड़क धंस गई, जिससे एक ट्रक पलट गया और यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। सेक्टर-22 में बारिश और तेज हवाओं के कारण कई पेड़ गिर गए, जिससे बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई।

जलभराव की वजह से ट्रैफिक जाम

सुभाष चौक और सोहना रोड पर गाड़ियों की लंबी कतारें देखी गईं। बारिश के पानी में कई वाहन खराब हो गए और उन्हें धक्का देकर निकाला गया। वहीं दिल्ली-जयपुर हाईवे पर नरसिंहपुर के पास सर्विस लेन पानी में डूब गई, जिससे हाईवे पर लंबा जाम लग गया।

बारिश के आंकड़े

गुरुग्राम में 133 मिमी, वजीराबाद में 122 मिमी, कादीपुर और हरसरू में 119 मिमी, फरुखनगर में 67 मिमी, मानेसर में 55 मिमी, बादशाहपुर में 48 मिमी और सोहना में 18 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। सोहना में वर्षा सबसे कम रही, लेकिन बाकी शहरों में जलभराव की स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई।

नगर निगम और जीएमडीए की व्यवस्था पर सवाल

इस भारी वर्षा ने नगर निगम और जीएमडीए की जल निकासी व्यवस्था की विफलता को उजागर किया है। मानसून से पहले नालों की सफाई के बड़े दावे किए गए थे, लेकिन बारिश के बाद नाले ओवरफ्लो हो गए और सड़कों पर जलभराव हो गया। इसके कारण नागरिकों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा।

स्थानीय लोगों का आरोप

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल मानसून के दौरान यही समस्या सामने आती है, लेकिन प्रशासन स्थायी समाधान में असफल रहता है। नगर निगम और जीएमडीए अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है और उनकी तैयारियों को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं।

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