पब्लिक फर्स्ट। भोपाल। आशुतोष । पॉलिटिक्स फर्स्ट।

हाल ही में सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ। वायरल वीडियो में, मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ, टिकिट वितरण को लेकर, शिवपुरी से असंतोष जताने आये कार्यकर्ताओं से ये कहते पाये गये, कि आपके नेता, वीरेन्द्र रघुवंशी को टिकिट नही मिलने के पीछे वो दोषी नही है। उन्होने इसका सारा ठीकरा दिग्विजय सिंह पर फोड़ते हुए कहा कि अगर आप लोगो को कपड़े ही फाड़ने है तो दिग्विजय और जयवर्धन के फाड़ो।

वीडियो वायरल होने पर कमलनाथ की सफाई भी आई। उन्होने मंच से कहा कि उनके और दिग्विजय के बहुत पुराने संबंध है और उन्होने दिग्विजय को गाली खाने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी दे रखी है। लेकिन फिर भी बड़ा सवाल बाकी रहा कि कमलनाथ के दिग्विजय से तो दोस्ताना, पुराने या बड़े और छोटे भाई के संबंध रहे है ।इस तर्क की आड़ में कमलनाथ ने अपने इस कपड़ा फाड़ो बयान को डाल्यूट करने की कोशिश की लेकिन फिर भी बड़ा सवाल बाकी रहा कि आख़िर कमलनाथ ने, दिग्विजय सिंह के साथ उनके बेटे जयवर्धन के कपड़े फाड़ने को क्यों उकसाया ??

पोस्ट पोल सक्सेशन की लड़ाई अभी से ??
चुनाव बाद वर्चस्व की लड़ाई अभी से ??

तो क्या कांग्रेस के दोनो दिग्गज नेता ये मान चुके है कि मप्र में उनकी सरकार बनना तय हो चुका है। पिछले कुछ समय के कमलनाथ और दिग्विजय के बीच चल रही भीतरखाने की खींचातानी पर गौर करें, तो इशारा तो इसी तरफ हो रहा है। ऐसे में कमलनाथ का ये बयान जिसमें उन्होने दिग्विजय सिंह के साथ उनके बेटे के भी कपड़े फाड़ने को उकसाय़ा ये इसी चुनाव बाद वर्चस्व की लड़ाई की एक अहम कड़ी है।
इस नूराकुश्ती को समझने के लिये कमलनाथ के एक और बयान पर गौर करना होगा जिसमें वे, छिंदवाड़ा की एक छोड़ ( छिंदवाड़ा से जिसमें खुद उनके नाम की घोषणा हो चुकी है ) बाकी सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा नकुलनाथ करेंगे। यानि दिल्ली से पहले नकुलनाथ उन सीटों की घोषणा करेंगे – ये बयान अपने आप में ये बताने के लिये काफी है कि कमलनाथ कम से कम मध्यप्रदेश में तो अपने ऊपर दिल्ली हाईकमान तक को नही मानते।

क्या और किसे नसीहत देना चाहते है कमलनाथ ?
कांग्रेस या कमलनाथ कांग्रेस ?

कमलनाथ के पहले कपड़ा फाड़ो बयान और फिर नकुलनाथ दिल्ली से पहले घोषित करेंगे, छिंदवाड़ा के प्रत्याशियों के नाम। इन दोनो ही बयान से कमलनाथ, उस दंभ से घिरे भाव से आते है जिसमें जनता की वोटिंग से पहले, खुद को मुख्यमंत्री मान चुके है। यही नही वो इसके लिये अपने सिवा किसी और को लेश मात्र भी क्रेडिट या श्रेय देने वाले भी नही है।
इसका मतलब साफ है। कमलनाथ ना केवल हाईकमान को ये संदेश देना चाह रहे है कि मप्र को लेकर वो किसी भी प्रकार की दखलअंदाज़ी बर्दाश्त नही करेंगे वही दूसरी ओर वो अपने प्रदेश में एकमात्र बचे प्रतिद्वंदी दिग्विजय सिंह को भी सख्त संदेश देना चाह रहे है कि वो उन्हे अपने सामने बहुत कुछ नही समझते है।

पुत्रो के राजनीतिक कैरियर सैट करने की छटपटाहट


हालांकि फिलहाल तो सूत ना कपास जुलाहो में लट्ठम लट्ठा ही कहा जायेगा लेकिन राजनीति में बहुत दूर तक की सोच और समझकर ही चाल चली जाती है और मोहरे सैट किये जाते है। ये चुनाव बीजेपी के लिये भले ही सेमीफाईनल हो लेकिन कांग्रेस के दो दिग्गज नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के लिये ये किसी फाईनल से कम नही है। अपनी फाईनल पारी खेल रहे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपनी राजनीतिक पारी घोषित करने से पहले, अपने बेटो के सियासी कैरियर सैट और राजनीतिक विरासत सौपना चाहते है। इस रेस में जो भी आगे निकलेगा, उसी के परिवार का भविष्य ज्यादा बेहतर हो सकेगा और कांग्रेस की परिवारवाद की परंपरागत पॉलिटिक्स में उस परिवार का वर्चस्व लंबे समय तक कायम रह सकेगा। यही वजह है कि, कमलनाथ ने, दिग्विजय सिंह के साथ उनके बेटे जयवर्धन को भी टारगेट किया जिससे कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ की राह आसान हो सके और जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पकड़ के दम पर दिग्विजय – कमलनाथ के सामने एक चुनौती बनकर खड़े होते रहे है वो ही कांग्रेस कार्यकर्ता, दिग्विजय और उनके बेटे से ज्यादा, उन्हे और उनके बेटे नकुलनाथ को अपना हमदर्द समझे और कमलनाथ की सत्ता के साथ साथ, संगठन में भी पकड़ मज़बूत हो सके।
नोट- ये तमाम कवायद और समीकरण कांग्रेस की मप्र में सरकार बनने पर ही लागू होती है। कांग्रेस की सरकार नही बनने पर, कमलनाथ और दिग्विजय के साथ उनके बेटो के लिये भी, स्थिति बेहतर नही हो सकेगी।
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लेखक – पब्लिक फर्स्ट सैटेलाईट न्यूज़ चैनल और इंडिया फर्स्ट डिजिटल न्यूज़ चैनल के एडिटर इन चीफ है।

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