पब्लिक फर्स्ट I भोपाल
कांग्रेस का एक पुराना रोग जो अक्सर टीस मारता रहता है, इन दिनों फिर उभर आया है। कांग्रेस राम मंदिर के विषय को लेकर चुनाव आयोग चली गई है। मैं कांग्रेस के लोगों से यह पूछना चाहता हूं कि उन्हें ’राम’ शब्द से आपत्ति है या ’मंदिर’ से। अगर राम से आपत्ति है, तो यह शब्द महात्मा गांधी की समाधि पर लिखा है। रघुपति राघव राजाराम उनका प्रिय भजन था और रामराज्य उनका आदर्श था। क्या यह सब सांप्रदायिक है? अगर मंदिर शब्द से आपत्ति है, तो चुनाव के मौसम में कांग्रेस के नेता ही सबसे ज्यादा मंदिर जा रहे हैं और फोटो खिंचवा रहे हैं। अगर कांग्रेस को राम और मंदिर शब्दों पर आपत्ति नहीं है, तो राममंदिर शब्द पर आपत्ति क्यों है?
वामपंथी इतिहासकारों के दबाव में रूकवाई खुदाई
वास्तव में राममंदिर का निर्माण पूरा होते देख कांग्रेस के सीने की आग भड़क उठी है, क्योंकि वह कभी नहीं चाहती थी कि राममंदिर का निर्माण हो। यह बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने रविवार को भाजपा मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। राष्ट्रीय प्रवक्ता त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस राममंदिर का निर्माण कभी नहीं चाहती थी और वह यह भी नहीं चाहती थी कि यह विवाद सुलझे। 22-23 दिसंबर 1949 की रात जब अयोध्या में श्री रामलला का प्राकट्य हुआ, तो उत्तरप्रदेश के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री इस मामले को रफादफा करने के लिए फैजाबाद गए, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट ने उन्हें रोक दिया। बाद में जब यह विवाद अदालत पहुंचा, तो 1961 तक मुस्लिम वर्ग इसमें पक्षकार ही नहीं बना।
राजनीतिक फायदे के लिए संविधान का भी किया अपमान
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के.के. मोहम्मद ने अपनी किताब में लिखा है कि उस समय मुस्लिम समाज में एक विचार था कि हमें इस चक्कर में नहीं पढ़ना चाहिए। लेकिन टाइटल सूट की मियाद बीतने के 11 दिन पहले दिसंबर, 1961 में अचानक पक्षकार बन गए। निश्चित तौर पर कांग्रेस ने ही मुस्लिम पक्ष को इसके लिए उकसाया था। यही नहीं, 1976 में इंदिरा गांधी जी के जमाने में जब आर्कियोलॉजिकल सर्वे की खुदाई चल रही थी, तो नीचे आठ खंबे निकल आए। तब वामपंथी इतिहासकारों के दबाव में सरकार ने खुदाई रुकवा दी और कोर्ट से यह स्टे ले लिया गया कि खुदाई कभी नहीं की जाएगी, क्योंकि उन्हें डर था कि अगर खुदाई हुई, तो कुछ निकल आएगा।
त्रिवेदी ने कहा कि 21 वीं सदी में रडार मैपिंग की टेक्नोलॉजी आ गई। कोर्ट ने खुदाई के लिए मना किया था, रडार मैपिंग जैसी तकनीक के प्रयोग पर रोक नहीं थी। इसलिए जब स्व. अटल जी की सरकार ने रडार मैपिंग कराकर उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की, तो कोर्ट ने खुदाई की परमिशन दे दी। 2003 में खुदाई में सबकुछ निकल आया। उसके बाद कांग्रेस के ही नेता वकील का चोला ओढ़ कर तथाकथित बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की ओर से कोर्ट में खड़े होते थे। त्रिवेदी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हा राव ने 7 दिसंबर, 1992 को कहा था कि हम बाबरी मस्जिद दोबारा तामीर करेंगे।
15 जनवरी 1993 को उन्होंने फिर एक इंटरव्यू में इस बात को दोहराया। उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा में यही बात कही थी। ये लोग सिर्फ जन भावना का ही अपमान नहीं कर रहे थे, सांप्रदायिक वातावरण बिगाड़ रहे थे और इस्लाम का भी अपमान कर रहे थे, क्योंकि ये लोग इस्लाम की मान्यता के अनुसार काफिर थे और एक काफिर को मस्जिद की तामीर करने का हक नहीं है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के संवैधानिक पद पर बैठे ये लोग संविधान का भी अपमान कर रहे थे। त्रिवेदी ने कहा कि 6 दिसंबर 92 की घटना के बाद कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकारों को बर्खास्त कर दिया था।
इसके पीछे कांग्रेस का क्या तर्क था? उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस की कैबिनेट ने यह फैसला लिया, तब कमलनाथ कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस के लोग कहते थे कि 2019 से पहले इसका जजमेंट मत आने दीजिए, वरना भाजपा को राजनीतिक लाभ मिल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट द्वार कभी विवादित रहे स्थल को स्पष्ट तौर पर राम जन्मभूमि कहे जाने के बावजूद कांग्रेस के लोग ’बाबरी मस्जिद’ शब्द का प्रयोगा कर रहे हैं। इसका मतलब है कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ-हानि के तराजू पर तौलती रही है। जबकि हमारे लिए यह आस्था का विषय था और है।
मंदिर निर्माण के साथ ही विश्वगुरु बनने के रास्ते पर बढ़ा भारत
कांग्रेस बताए क्या वह कारसेवकों के हत्यारों के साथ है? त्रिवेदी ने कहा कि 1990 में जब मध्यप्रदेश में पटवा सरकार थी और यहां से कारसेवक अयोध्या जा रहे थे, तब कांग्रेस के सहयोग से चल रही उत्तरप्रदेश की मुलायमसिंह सरकार ने झांसी से पहले अस्थाई दीवार बनवा दी थी, ताकि कारसेवक वहां से आगे न बढ़ पाएं। त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस के इंडी गठबंधन में इस समय समाजवादी पार्टी भी एक सहयोगी है। इस पार्टी के नेता ने एक बार कहा था कि हम बाबरी मस्जिद के लिए इससे ज्यादा और क्या कर सकते थे कि हमने 16 हिंदू मरवा दिए थे। हालांकि 16 की संख्या सही नहीं थी, लेकिन इतने तो सरकार ने खुद स्वीकार किए थे। कांग्रेस पार्टी बताए कि क्या वह आज भी उन लोगों के साथ हैं, जिन्होंने हिंदुओं, कारसेवकों को मरवाया था?
त्रिवेदी ने कहा कि पहले लोग हमसे कहते थे- मंदिर वहीं बनाएंगे, पर तारीख नहीं बताएंगे। लेकिन अब मंदिर निर्माण की तारीख भी आ गई है और यह काल की गति है कि तारीख ऐसे समय पर आई है, जब भारत पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। चौथा बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन गया है। तीसरा बड़ा ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर बन गया है। दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल हैंडसेट का मैन्युफैक्चर बन गया है। अमेरिका को पीछे छोड़कर इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने वाला पहला देश बन गया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के द्वारा महिलाओं के लिए संसद और विधानसभा में भागीदारी का मार्ग प्रशस्त करने वाला देश बन गया है। तारीख तब आई है जब अनुसूचित जनजाति की श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की महामहिम राष्ट्रपति बन गई है। साढ़े चार करोड़ गरीब लोगों को प्रधानमंत्री आवास मिल चुका है, 11 करोड लोगों को शौचालय मिल चुके हैं। सारे गांवों में बिजली और सड़क पहुंच गई है और नलों से पानी पहुंच रहा है। राम मंदिर का निर्माण तब पूरा हो रहा है, जब भारत जी-20 देशों में 7.8 परसेंट की वृद्धि दर के साथ फास्टेस्ट ग्रोइंग इकोनामी बन गया है।
राम के विरोध में कहां से कहां पहुंच गई कांग्रेस
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने मीरा बाई को ऐसे प्रिय लोगों को भी छोड़ देने का परामर्श दिया था, जो राम और वैदेही यानी माता सीता से प्रेम नहीं करते। इसीलिए देश की जनता भी राम विरोध के चलते कांग्रेस से दूर होती जा रही है। सभी ने देखा है कि चार सौ सीटों वाली कांग्रेस पार्टी किस तरह दो बार 50 का आंकड़ा पाने को भी तरस गई। जबकि भारतीय जनता पार्टी 300 के पार है। उत्तरप्रदेश की विधानसभा में हम 16 सीटों पर थे और कांग्रेस 268 पर थी। लेकिन आज उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की स्थिति देखिए। वहां कांग्रेस की स्थिति ऐसी है कि- इतनी भी मय नहीं मयखाने में, जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में।
सनातन के खिलाफ षडयंत्र का हिस्सा है मंदिर विरोध
त्रिवेदी ने कहा कि विषय सिर्फ राम मंदिर का नहीं है, बल्कि सनातन के खिलाफ पूरी सोच औ षडयंत्र चल रहे हैं। हाल ही में एक कांफ्रेंस हुई थी, जिसका विषय था-इरेडिकेशन ऑफ सनातन। यानी सनातन का समूल नाश। उन्होंने कहा कि कल केरल में आतंकी संगठन हमास के एक नेता वर्चुअल रैली को संबोधित कर रहे थे। राहुल गांधी जो केरल से सांसद हैं और कांग्रेसियों के लिए अभिनंदनीय, वंदनीय हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इस पर आपका क्या कहना है? उन्होंने कहा कि यह अकेला मामला नहीं है, बल्कि यह एक योजना का हिस्सा है। हमास की यह रैली और कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख द्वारा बाबरी मस्जिद कहा जाना, इससे साफ हो गया है कि कांग्रेस के पास न विकास के मुद्दे पर कहने के लिए कुछ है और न जनकल्याण के मुद्दे पर। इसलिए वह अपनी पुरानी स्टाइल यानी सांप्रदायिकता भड़काने पर आ गई है। पिछले चुनाव में भी कमलनाथ का 100 वोटिंग वाला एक वीडियो वायरल हुआ था, अभी भी वही रणनीति चल रही है। ये देश में किसी भी प्रकार का विभाजन पैदा करके, ध्रुवीकरण पैदा करके येन केन प्रकारेण सत्ता हासिल करना चाहते हैं