ISI भारत से आतंकियों को नहीं बचा पाई — तो अब मीडिया प्रोपेगेंडा के ज़रिये खुद को “स्मार्ट” साबित करने की कोशिश कर रही है??

  • भारत में 1947 से पाकिस्तान के भरोसेमंद स्लीपर सेल और पैरोकारों की कोई कमी नहीं रही – तो फिर ज्योति मल्होत्रा को ही क्यों पाकिस्तान ने मोहरा बनाया ?
  • क्या सैटेलाइट जासूसी के इस दौर में – ज्योति पाकिस्तान को ऐसी कौन-सी अति गोपनीय सूचना दे रही थी ?
  • ⁠पहलगाम हमले के बाद सैकड़ो OGW ( ओवरग्राउंड वर्कर ) और पाकिस्तान परस्तों की धरपकड़ की गई जो मज़हब के नाम पर , देश के साथ ग़द्दारी कर रहे थे ।
  • ⁠हमारे बड़ी सियासी पार्टियों के नेता तो ना जाने कितनी बार पाकिस्तान परस्त बयान देते रहे हैं !
  • ⁠कुछ नेता तो पाकिस्तान जाकर, भारत के पीएम को हटाने के लिये मदद भी माँगते रहे है !।
  • ⁠तो फिर ज्योति मल्होत्रा ऐसी कौनसी जानकारी पाकिस्तान पहुँचा रही थी जो पाकिस्तान का पहले से मौजूद स्लीपर सेल का नेटवर्क नहीं पहुँचा पा रहा था ?
  • ज्योति मल्होत्रा ने जो किया – वो ग़लत किया – कड़ी कार्रवाई होनी चाहिये – लेकिन …
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ज्योति ने पाकिस्तान के पक्ष में वीडियो बनाये .. पाकिस्तान की बेहतर तस्वीर बनाई और संभवतः कुछ ऐसी तस्वीरें और जानकारियाँ भी भेजी होंगी – जो कोई देशद्रोही ही भेज सकता है । जो अक्षम्य है – निंदनीय है। उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, सख्त होनी चाहिए।

  • लेकिन क्या केवल उसी को न्यूज़ चैनलों पर दिखा दिखाकर हम ISI की स्क्रिप्ट तो नहीं दोहरा रहे हैं?
  • ⁠क्या ज्योति मल्होत्रा की ‘ लुभावनी ‘ तस्वीरें दिखा दिखाकर – भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों के उस कारनामे को हम नहीं भुला रहे हैं, जिसने LOC के पार जाकर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम तक पहुंचाया?
  • ⁠वो शूरवीर जिन्होंने हमारी सेनाओं को सटीक जानकारी भेजी ।

RAW और IB की बात कौन करेगा?
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जब CIA, FBI और Mossad के लिए भारत में तारीफों की चादरें बिछाई जाती हैं , और तो और ISI को तो ऐसे दिखाया जाता है जैसे वो भारत में कभी भी और कहीं भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है और किसी को भी अपना जासूस बना सकती है !
ऐसे समय में हमारी RAW, IB, MI और NIA को क्यों भुला दिया जाता है? क्या हमारे एजेंट्स की क्षमताएं कमतर है?

ज्योति एक मोहरा है…मूल खेल कहीं और है।
पाकिस्तान और चीन का उद्देश्य सिर्फ जासूसी नहीं है, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और खुफिया ढांचे पर संदेह पैदा करना है। और हम इसी में फंसते दिख रहे हैं।

ये ठीक वैसा है जैसे हारने वाला जनरल पाकिस्तान में फील्ड मार्शल बना दिया जाता है।
ISI भारत से आतंकियों को नहीं बचा पाई — तो अब मीडिया प्रोपेगेंडा के ज़रिये खुद को “स्मार्ट” साबित करने की कोशिश कर रही है। और इसमें ज्योति मल्होत्रा का इस्तेमाल सिर्फ एक मोहरे के तौर पर हो रहा है।

निष्कर्ष:
ज्योति मल्होत्रा ने जो किया, वह गलत था। देशविरोधी था। लेकिन इस युद्ध में हमें ये ध्यान रखना होगा कि कहीं हम ही तो दुश्मन के नैरेटिव को हवा नहीं दे रहे? क्या हम अनजाने में एक जासूसी आरोप को इतना बड़ा बना रहे हैं कि हमारी सेना और एजेंसियों की असली जीत ही पीछे छूट जाए?

बाकी आपकी मर्जी।
आप गालियां दीजिए, ताने मारिए, या समर्थन दीजिए। लेकिन एक बात तय है — यूट्यूब की बिकिनी तस्वीरें दिखाकर किसी देश का भला नहीं हो सकता .. समय है देश में आत्मविश्वास बढ़ाने का – सतर्क रहने का लेकिन बुलंद हौसलों के साथ ।

publicfirstnews.com

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