अब खेती की नीतियाँ केवल लखनऊ के सचिवालयों में बैठकर नहीं, बल्कि सीधे किसानों के खेतों में जाकर तय की जाएंगी। इसी सोच को साकार करते हुए जनपद बाराबंकी में कृषि उन्नति के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर खेती की बात खेत पर’ विषय पर प्रगतिशील किसान सम्मेलन एवं किसान पाठशाला का भव्य शुभारंभ किया गया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को आधुनिक, वैज्ञानिक और उन्नत कृषि तकनीकों से जोड़ना तथा उनकी समस्याओं और सुझावों को सीधे खेत से सुनकर समाधान सुनिश्चित करना रहा। सम्मेलन में बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसान, कृषि विशेषज्ञ और विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सरकारी कृषि योजनाओं के लाभार्थी किसानों को चेक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। सम्मान पाकर किसानों के चेहरे पर उत्साह और आत्मविश्वास साफ नजर आया। यह पहल किसानों को नई तकनीक अपनाने और कृषि को लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित करने के लिए प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

इस अवसर पर उन्नत कृषि पर आधारित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया गया, जिसमें आधुनिक बीज, नवीन कृषि यंत्र, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, ड्रिप सिंचाई, मृदा स्वास्थ्य और फसल विविधीकरण से जुड़ी जानकारियाँ प्रदर्शित की गईं। विशेषज्ञों ने किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन और टिकाऊ खेती के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब किसान प्रगति करेगा, तभी प्रदेश प्रगति करेगा। किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी और इसका सीधा लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा। यही सोच आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘विकसित भारत’ के विजन की आधारशिला है, जिसे जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाया जा रहा है।

सम्मेलन के अंत में प्रगतिशील अन्नदाता किसानों का हार्दिक अभिनंदन किया गया और यह संकल्प लिया गया कि खेती से जुड़े निर्णय किसानों के अनुभव, नवाचार और सहभागिता के साथ लिए जाएंगे, ताकि उत्तर प्रदेश कृषि के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छू सके।

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