राजधानी भोपाल में एक महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत हुई है, जिसका उद्देश्य शहर के बड़े तालाब के जल स्तर और उसकी गहराई को बढ़ाना है। यह कदम केवल जल संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे शहर के पर्यावरण, जैव विविधता और सौंदर्य में भी वृद्धि होगी।

तालाब का महत्व और वर्तमान स्थिति

भोपाल को ‘झीलों की नगरी’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ के तालाब न केवल प्राकृतिक सुंदरता का हिस्सा हैं, बल्कि यह भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने और वर्षा जल संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती शहरीकरण, प्रदूषण और कचरे के अंबार के कारण कई तालाबों की जल क्षमता घट गई है। इस बड़े तालाब की स्थिति भी इससे अछूती नहीं रही।

परियोजना के प्रमुख उद्देश्य

इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत तालाब की गहराई बढ़ाने, तल को साफ करने और जलभराव क्षमता को अधिकतम करने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। परियोजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  1. जल स्तर और जल संरक्षण में सुधार: तालाब की गहराई बढ़ाने से वर्षा जल का संग्रहण बढ़ेगा और मौसमी जल संकट के समय शहर को राहत मिलेगी।
  2. पर्यावरण संरक्षण: तालाब के पानी में ताजगी बनाए रखने और जलजनित जीवों की सुरक्षा के लिए सफाई और जलप्रवाह को नियंत्रित किया जाएगा।
  3. शहरी सौंदर्य और पर्यटन: साफ-सुथरा और गहरा तालाब शहर के पर्यटन स्थल को और आकर्षक बनाएगा और स्थानीय नागरिकों के लिए एक प्राकृतिक अवकाश स्थल उपलब्ध कराएगा।
  4. जैव विविधता का संरक्षण: तालाब में मछली, जलपक्षी और अन्य जीवों के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार किया जाएगा, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित रहेगा।

तालाब की सफाई और गहराई बढ़ाने के लिए नवीनतम ड्रेजिंग तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। प्रशासन ने बताया है कि अभियान के दौरान तालाब में जमा तलछट और कचरा हटाने के साथ-साथ पानी के रिसाइक्लिंग और जल स्तर मॉनिटरिंग की सुविधा भी सुनिश्चित की जाएगी।

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